21. गया जी (बिहार)
श्री गुरू तेग बहादर साहब जी बनारस से आगे बढ़ते हुए गया जी पहुँचे। स्थानीय पंडों
ने उन्हें कोई धनाढ़य व्यक्ति समझकर घेर लिया और कहा– आप अपने पुरखों के नाम से
पिंडदान करवाएं। गुरूदेव तो विनोदी रूचि के थे। अतः उन्होंने पूछा कि इन आटे के गोलें
से क्या होगा ? पंडों ने उत्तर दिया– उनके बुजुर्गो की दिवँगत आत्माओं को स्वर्ग
लोक पहुँचने का मार्ग मिलेगा और वे जन्म मरण के चक्कर से छूट जाएंगे। इस पर गुरूदेव
हँस दिये और कहने लगे कि पंडा जी, आपके कहे अनुसार तो मोक्ष बहुत सहज और सस्ते में
मिल सकता है, केवल आटे के गोले दान भर देने से, इसका तात्पर्य यह हुआ कि श्रेष्ठ
धर्म कर्मों का कोई महत्त्व नहीं और नाम स्मरण की जीवन में कोई आवश्यकता नहीं ? इन
बातों का पंडों के पास कोई उत्तर नहीं था। जैसे ही उन्हें मालूम हुआ कि वह पराक्रमी
पुरूष श्री गुरू नानक देव जी के नौवे उत्तराधिकारी हैं तो वे गुरूदेव जी के सामने
से धीरे धीरे करके खिसकने शुरू हो गये। तब वहाँ की स्थानीय जनता तथा अन्य यात्रियों
को गुरूदेव जी ने सम्बोधन करके कहा– प्रभु नाम का चिंतन मनन ही केवल आवागमन के चक्कर से छूटकारा दिलवा सकता है।
रामु सिमरि रामु सिमरि इहै तेरे काजि है ।।
माइआ को संगु तिआगि प्रभ जू की सरनि लागु ।।
जगतु सुख मानु मिथिआ, झूठो सभ साजु है ।।
सुपने जिउ धनु पछानु ।। काहे पहि करत मान ।।
बारू की भीति जैसे बसुधा को राजु है ।।
नानक जन कहत बात विनसि जै है तेरो गातु ।।
छिनु छिनु करि गइओ कालु तैसे जातु आजु है ।।
गुरूदेव जी ने इस पद की रचना करके गायन किया, जिससे जनसाधारण
सन्तुष्ट होकर उनके चरणों में आ बैठे। तब गुरूदेव जी ने अपने प्रवचनों से कहा–
स्वर्ग नरक कोई चीज़ नहीं है। मरने के बाद मनुष्य का शरीर पाँच तत्त्वों में मिल जाता
है। मानव की देह आकाश, अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी से बनती है, जब श्वास निकल जाते
हैं तो यह तत्त्व पुनः इन्हीं तत्वों में लुप्त हो जाते हैं। रही आत्मा की बात, वह
न मरती है और न जन्मती है। वह तो अनश्वर है। एक शरीर से निकलते ही वह दूसरे शरीर
में प्रवेश कर जाती है। मनुष्य तो अपने कर्मों का फल ही इस धरती पर भोगता है। यह
प्रभु की लीला है, जिसे कोई बदल नहीं सकता। हमारे बुजुर्ग तो गुरबाणी पढ़ने-सुनने के
कारण सीधे आवागमन के चक्कर से मुक्ति पा जाते हैं। गुरमति, नाम स्मरण को ही मुक्ति
का उपाय बताती है। आप भी पाखण्ड त्यागकर ऐसी सच्ची मुक्ति के साधन अपनाओ।