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11. माई की व्यथा

श्री गुरू तेग बहादुर जी जनसम्पर्क अभियान में आगे बढ़ते हुए मकरपुर ग्राम में पहुँचे। वहाँ पर आपके शिविर में बहुत भक्तों की भीड़ रहने लगी। आप समस्त दीनदुखियों की पुकार सुनते और उनको नाम दान देकर कृतार्थ करते। तभी एक महिला आपके चरणों में अपने श्रद्धासुमन लेकर उपस्थित हुई और विनती करने लगी कि हे कृपालु दाता ! नौवे गुरू नानक मेरी नपूती कोख हरी करो। उसकी करूणामय विनती पर गुरुदेव पसीज़ गये और उसे कहा– माता घर जाओ, प्रभु के दरबार से तुम्हें एक बेटे की दात प्राप्त होगी और तुम्हारी श्रद्धा को फल लगेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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