SHARE  

 
jquery lightbox div contentby VisualLightBox.com v6.1
 
     
             
   

 

 

 

18. भाई हिम्मत सिंघ जी (प्यारा)

  • असली नाम: भाई हिम्मत राय जी
    अमृतपान करने के बाद नाम: भाई हिम्मत सिंघ जी
    जन्म: सन 1661, एक पानी ढोने वाले परिवार में यानि झिऊर थे, में जगननाथुरी, उड़ीसा में जन्म लिया।
    पिता का नाम: भाई गुलजारी जी
    माता का नाम: माता धानू जी
    अकाल चलाना: चमकौर के युद्ध में शहीदी प्राप्त की।
    यह गुरू जी की सेवा में 5 साल की उम्र से थे।
    अमृतपान करते समय उम्र: 38 वर्ष
    शहीदी प्राप्त करते समय उम्र: 44 वर्ष
    गुरू जी की सेवा में रहे: 39 वर्ष

भाई हिम्मत सिंघ जी भी 1699 की वैसाखी वाले दिन श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी द्वारा शीश माँगें जाने पर अपना सिर देने वालें पाँच प्यारों में शामिल हैं। भाई हिम्मत सिंघ जी का जन्म सन 18 जनवरी 1661 को जगननाथुपरी में हुआ था। आपका परिवार काफी लम्बे समय से गुरूघर से जुड़ा हुआ था। भाई हिम्मत सिंघ जी पहली बार 17 साल की उम्र में श्री आनंदपुर (चक्क नानकी) नगर में आए और फिर गुरू घर का हिस्सा बन गए। एक तो वह गुरू जी के हम उम्र थे और दूसरा वह हमेशा गुरू साहिब जी के साथ ही रहते थे। उनका गुरू साहिब जी के साथ लगाव और प्यार हमेशा बना रहा। जब गुरू साहिब जी ने श्री पाउंटा साहिब नामक नया नगर बसाया तो आप भी श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी के साथ श्री पाउंटा साहिब जी में ही आ गए। जब 18 सितम्बर को भँगाणी का युद्ध हुआ तो आपने अपने खूब हाथ दिखाए। आप बाद में गुरू साहिब जी के साथ श्री आनंदपुर साहिब लौट आए। जब गुरू साहिब जी ने 1999 की वैसाखी वाले दिन खालसा प्रकट किया तो आप अमृतमान करके पाँच प्यारों में, कड़ी परीक्षा में सफल होकर शामिल हुए। भाई हिम्मत सिंघ जी एक बहुत ही बहादुर जरनैल थे। आप बहुत जानदार शख्स थे। तलवारबाजी और घुड़सवारी में आप बहुत ही माहिर थे। आपने नादौन, आनंदुपर और निरमौहगढ़ की लड़ाईयों में हिस्सा लिया था। जब दिसम्बर 1705 में गुरू साहिब जी ने श्री आनंदपुर साहिब जी के किले का त्याग किया, आप गुरू साहिब जी के अंग संग रहने का प्रण करने वाले 40 सिक्खों में आप भी शामिल थे। आपने जी ने गुरू साहिब जी के साथ ही सरसा नदी पार की और कोटला निहंग से होते हुए 7 दिसम्बर की सुबह चमकौर साहिब में पहुँचे। श्री चमकौर साहिब जी में दुपहर को मुगल फौजों ने घेरा डाल लिया। इस मौके पर भाई हिम्मत सिंघ जी ने सभी सिंघों के साथ मिलकर मुगलों से जमकर लोहा लिया और यहीं पर भाई मोहकम सिंघ और भाई साहिब सिंघ जी के साथ शहादत प्राप्त की।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
            SHARE  
          
 
     
 

 

     

 

This Web Site Material Use Only Gurbaani Parchaar & Parsaar & This Web Site is Advertistment Free Web Site, So Please Don,t Contact me For Add.