9. भाई दरसो जी
भाई दरसो जी श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी के खास सिक्खों
में से एक थे। वो भी गुलेर की लड़ाई में 1696 के दिन शहीद हुए थे। भले ही भाई दरसो
जी के जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती, लेकिन उनको यह मान हासिल है कि
उनका जिक्र बचितर नाटक में मिलता हैः
सात सवारन के सहित जूझे संगत राइ ।।
दरसो सुणि जूझे तिनै बहुत जुझत भयो आइ ।।57।।
गुलेर की इस लड़ाई में भाई लहिनिया, भाई हनुमँत, भाई सँगत राए और
भाई दरसो जी के अलावा तीन सिक्ख और शहीद हुए। जिनका अंतिम सँस्कार अगले दिन किया गया
था। गुलेर की लड़ाई हुसैन खाँ और गुलेर के राजा की फौजों के बीच हुई। इस मौके पर भाई
सँगत राए जी और 6 ओर सिक्ख, राजा गोपाल का समझौता करवाने के लिए पहुँचे थे, पर जब
किरपाल चँद कटोचीए (जो मुगल हमलावर हुसैन खाँ का सहयोग दे रहा था) ने राजा गोपाल को
बातचीत के दौरान गिरफ्तार करने की कोशिश की तो राजा बचकर निकल गया। इसलिए दोनों तरफ
से जबरदस्त जँग हुई। इस जँग में सिक्ख भी डटकर लड़े। इस मौके पर भाई दरसो समेत सात
सिक्खों ने शहीदियाँ पाईं।