8. भाई हुनमँत जी
भाई हुनमँत जी भाई जग्गू (जगता) के बेटे, भाई पदमा के पोते और
भाई कौलदास के पड़पोते थे। आप चौहान राजपूत ख़ानदान से संबंध रखते थे। भाई हुनमँत जी
की शहीदी 1696 के दिन गुलेर की लड़ाई में हुई थी। इस लड़ाई में सिक्ख फौजें गुलेर के
राजा की सहायता के लिए गई हुई थीं। राजा गोपाल जो कि गुलेर का राजा था उस पर लाहौर
के सूबेदार के द्वारा भेजे गए हुसैन खाँ ने हमला किया था। इस हमले में हुसैन खाँ की
मदद किरपाल चँद "कटोचीआ" और अजमेरचँद "बिलासपुरिआ" भी कर रहे थे। इस लड़ाई में भाई
हनुमँत जी ने खूब बहादुरी के जौहर दिखाए। इसी लड़ाई में हुनमँत जी का भाई सँगत राए
पहले ही शहीद हो चुका था। उसकी लाज रखने के लिए भाई हनुमँत और 6 अन्य सिक्ख एक-दूसरे
से आगे बढ़कर लड़े और हमलावरों को मौत की दुल्हन से परिचय करवाकर उनकी विदाई कर दी और
एक शानदार जीत के साथ शहीदी भी पा गए।