58. भाई राम सिंघ मुक्ता
महत्वपूर्ण नोटः कई इतिहासकार यह लिखते हैं कि 5 प्यारों
के बाद 5 मुक्तों ने अमृतपान किया था, लेकिन सही बात तो यह है कि 5 प्यारों के बाद
श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी ने अमृतपान किया था। इसलिए यहाँ पर हमने दूसरे
मुक्ते को अमृतपान करने के मामले में 8 वां नम्बर दिया है।
भाई राम सिंघ मुक्ता जी ने भी 22 दिसम्बर 1705 के दिन चमकौर की
गढ़ी में शहीदी हासिल की थी। आप भी श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी के प्रॅमुख
सिक्खों में से एक थे। आप घुमेआणा के रहने वाले थे। भाई राम सिंघ मुक्ता का पहला
नाम रामचँद था। जब उन्होंने अमृतपान किया तो उनका नाम भाई राम सिंघ मुक्ता हो गया।
मुक्ता इसलिए क्योंकि पाँच प्यारों के बाद पाँच मुक्तों ने अमृतपान किया था। पाँच
प्यारों के बाद पाँच और सिक्ख अमृतपान करने के लिए गुरू साहिब जी को अपना सीस देने
के लिए उठे थे, गुरू साहिब जी ने उन्हें पाँच मुक्तों का नाम दिया। भाई राम सिंघ
मुक्ता जी उन पाँचों में शामिल थे। अमृतपान करने के बाद भाई राम सिंघ मुक्ता श्री
आनँदपुर साहिब जी में ही रहने लग गए थे। आपने भी निरमोहगढ़ और श्री आनँदपुर साहिब जी
की लड़ाईयों में जमकर लड़ाईयाँ लड़ी थीं। आप फौज के महत्वपूर्ण सिपाहियों में से एक
थे। आप हमेशा गुरू साहिब जी के साथ ही रहते थे। 20 दिसम्बर 1705 को जब गुरू साहिब
जी ने श्री आनँदपुर साहिब जी छोड़ने का निर्णय लिया तो गुरू साहिब जी के साथ जीने
मरने की कसम खानें वाले 39 और सिक्खों के साथ आप भी थे। इन 40 सिक्खों को श्री
आनँदपुर साहिब जी के 40 मुक्ते कहकर सम्बोधित किया जाता है। गुरू साहिब जी के साथ
यह कोटला निहँग से होते हुए श्री चमकौर साहिब जी पहुँचे। सारे के सारे सिक्ख थके
हुए थे। सभी ने बुधीचँद रावत की गढ़ी में डेरा डाल लिया। दूसरी ओर किसी चमकौर निवासी
ने यह जानकारी रोपड़ जाकर वहाँ के थानेदार को दे दी। इस प्रकार मुगल फौजें चमकौर की
गढ़ी में पहुँच गईं। सँसार का सबसे अनोखा युद्ध आरम्भ हो गया। मुगलों की गिनती लगभग
10 लाख के आसपास थी। कुछ ही देर में जबरदस्त लड़ाई शुरू हो गई। सिक्ख पाँच-पाँच का
जत्था लेकर गढ़ी में से निकलते और लाखों हमलावरों के जूझते और तब तक जूझते रहते जब
तक कि शहीद नहीं हो जाते। शाम तक बहुत से सिक्ख शहीद हो चुके थे। साहिबजादा अजीत
सिंघ जी और साहिबजादा जुझार सिंघ जी की शहीदी पा गए थे। रात होने तक 35 सिक्ख शहीद
हो चुके थे। इनमें भाई राम सिंघ मुक्ता जी भी शामिल थे।