5. भाई मोहन चंद जी
भाई मोहन चँद जी (भाई मनी सिंघ जी के भाई) यह भाई माईदास जी के
पुत्र शहीद भाई बल्लू के पोते और भाई मूले के पड़पोते थे। आप परमार-राजपूत परिवार से
संबंध रखते थे। यह परिवार श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से ही सिक्ख पँथ में
शामिल हो गया था। श्री गुरू गोबिन्द सिघं जी की फौज में भाई मोहन चँद जी शामिल हो
गए। भाई मोहन चँद जी काफी समय से श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी के साथ श्री
आनंदपुर साहिब जी में रह रहे थे। 1991 में जब लाहौर के सूबेदार ने पहाड़ी राजाओं से
लगान लेने के लिए अलिफखान की अगुवाई में फौज भेजी तो बिलासपुर के राजा भीमचँद ने
गुरू साहिब जी से मदद माँगी। गुरू साहिब जी सिक्ख फौजों को लेकर नादौन कस्बे में
पहुँचे। यहाँ पर ब्यास दरिया के किनारे पर हमलावर मुगल फौजों की पहाड़ी और खालसा सेना
के साथ जबरदस्त टक्कर हुई। इस लड़ाई में सिक्ख योद्धाओं ने दिलो-जान से हिस्सा लिया
और हमलावर फौजियों को नाकों चने चबवा दिए और मौत की दुलहन से परिचय करवाकर उनकी
विदाई भी कर दी। इस लड़ाई में खूब लोहा खड़का। भाई मोहन चँद जी तलवार चलाने में बहुत
ही महारत रखते थे। आमने-सामने की हाथों-हाथ की लड़ाई में आखिर में अलीफखान बहुत सारा
नुक्सान करवाकर वापिस मुड़ गया। इस लड़ाई में कई पहाड़ियों के साथ मुगल और सिक्ख भी
हताहत हुए, इसमें भाई मोहन चँद जी ने भी शहीदी प्राप्त की।