4. भाई हठीचँद जी
भाई हठीचँद जी, भाई मनी सिंघ जी के भाई थे। यह भाई माईदास जी के
पुत्र शहीद भाई बल्लू के पोते और भाई मूले के पड़पोते थे। आप परमार-राजपूत परिवार से
संबंध रखते थे। यह परिवार श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से ही सिक्ख पँथ में
शामिल हो गया था। श्री गुरू गोबिन्द सिघं जी की फौज में भाई हठीचँद जी शामिल हो गए।
भाई हठीचँद जी अपने नाम के अनुसार हठी और बहुत की बहादुर योद्धा थे। जब अप्रैल 1685
में गुरू साहिब जी ने श्री पाउँटा साहिब नगर बसाया तो आप भी गुरू साहिब जी के साथ
वहाँ चले गए। जब 1687 में जब गढ़वाल के राजा फ़तिहचँद शाह ने गुरू साहिब जी पर हमला
किया तो भँगाणी की लड़ाई में भाई हठीचँद जी ने राजा फ़तिहचँद शाह की फौज का डटकर
मुकाबला किया। इस युद्व में गुरू साहिब जी की जीत हुई। इस युद्ध में कई योद्धा शहीद
हुए। इस युद्ध में वो पठान फौजी भी मारे गए जो कि गुरू साहिब जी की फौज में थे,
लेकिन वह लालच में आकर गुरू साहिब जी की फौज से झूठ बोलकर कि वह अपने घर जा रहे
हैं, दुशमनों की फौजों में शामिल हो गए थे। इस युद्ध में औरों के साथ भाई हठीचँद जी
ने भी बहादुरी के जौहर दिखाए और कईयों को मौत के घाट उतारने के बाद आप जी ने भी
शहीदी प्राप्त की।