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36. भाई जीवन सिंघ जी

  • नामः भाई जीवन सिंघ जी
    पिता का नामः भाई प्रेमा
    दादा का नामः भाई मूला
    पड़दादा का नामः भाई राओ
    किस खानदान से संबंधः परमार-राजपूत खानदान
    सिक्खी में जुड़ेः श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से
    कब शहीद हुएः 20 अक्टूबर 1700
    कहाँ शहीद हुएः बसाली रियासत
    किसके खिलाफ लड़ेः रँघणों और गुजरों

भाई जीवन सिंघ जी भाई प्रेमा के सुपुत्र, भाई मूला के पोते और भाई राओ के पड़पोते थे। आप रिशते में भाई मनी सिंघ के दादा लगते थे। आप परमार-राजपूत खानदान से संबंध रखते थे। यह परिवार श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से ही सिक्ख धर्म के साथ जुड़ा हुआ था। भाई जीवन सिंघ जी "बड़े फूर्तीले" और "जाँबाज नौजवान" थे। आप तलवान चलाने में बहुत ही महारत रखते थे और तलवान चलाने में आपका कोई सानी नहीं था। भाई जीवन सिंघ जी श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी की फौज के एक मुखी सिक्ख थे। गुरू साहिब जी जब शिकार पर जाया करते थे, तो उनके साथ जाने वाले चंद सिक्खों में आप भी शामिल हुआ करते थे। 15 अक्टूबर से लेकर 19 अक्टूबर 1700 के दौरान श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी बसाली रियासत में रहे थे। वहाँ पर रहते हुए एक बार, 20 अक्टूबर के दिन, गुरू साहिब जी ने शिकार पर जाने की तैयारी की। आपके साथ कुछ सिंघ भी चले। रास्ते में सिक्खों ने एक बाघ को गोली मारकर जख्मी कर दिया। जख्मी बाघ कुछ दूर जाकर गिर गया। कलमोट के कुछ रँघड़ और गुजर यह देखकर घरों से बाहर निकल आए। इस मौके पर सिंघों और गाँव वासियों में आपस में झगड़ा हो गया। इस झगड़े में भाई जीवन सिंघ को बहुत गहरी चोट आई और आप वहीं शहीद हो गए। इसके बाद तो बहुत भँयकर लड़ाई हुई। सिक्खों ने गुजरों और रँघणों को अच्छा सबक सिखाया। इसके बाद सिक्ख, भाई जीवन सिंघ जी का शरीर लेकर बसाली रियासत में आए और 21 अक्टूबर को उनका अंतिम सँस्कार किया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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