35. भाई गोकल सिंघ जी
भाई गोकल सिंघ जी भाई दरीआ के सुपुत्र भाई मूले के पोते और भाई
राओ के पड़पोते थे। आप परमार-राजपूत खानदान से संबंध रखते थे। आप गाँव अलीपुर, जिला
मुजफ्फरगढ़ के वासी थे। भाई दरीआ जी भाई मनी सिंघ के दादा भाई बल्लू जी के छोटे भाई
थे। इस खानदान के बहुत सारे लोग गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी और श्री गुरू गोबिन्द
सिंघ साहिब जी की फौज में शामिल हुए थे और कईयों ने शहीदियाँ हासिल की थी। 14
अक्टूबर को जब गुरू साहिब जी निरमोहगढ़ की पहाड़ियों पर डेरा डालकर बैठे हुए थे तब
अजमेरचँद ने 14 अक्टूबर को एक बार फिर घेरा डाल दिया। इसमें बसाली का राजा सलाहीचँद
जो हमलावर राजा अजमेरचँद की दादी का जीजा था, अपने कुछ सिपाही लेकर आया था और सरसा
नदी के दूसरे किनारे पर रूक गया। उसने अपना दूत गुरू जी के पास भेजा और गुरू साहिब
जी से अरज की कि गुरू जी उसकी रियासत में आ जाएँ। गुरू जी सलाहीचँद की विनती मानकर
बसाली जाने के लिए तैयार हो गए। इस मौके पर सरसा नदी को पार करने के लिए जा रहे
सिक्खों पर अजमेरचँद की फौज ने हमला कर दिया। एक बार फिर भँयकर लड़ाई मच गई। भाई उदै
सिंघ के तीरों की बौछार ने पहाड़ियों को आगे न आने दिया, इसमें बहुत सारे पहाड़ी मारे
गए और खालसा फौज के जवान शहीद हो गए, इसमें भाई गोकल सिंघ जी भी पहाड़ियों के साथ
आमने-सामने की लड़ाई में ओर सिक्खों के साथ शहीद हो गए।