34. भाई केसरा सिंघ जी
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नामः भाई केसरा सिंघ जी
निवासीः गाँव खैरपुर सादात, जिला मुजफ्फरगढ़
पिता का नामः भाई छबीला
दादा का नामः भाई जीत
पड़दादा का नामः भाई लध्धा
किस परिवार से संबंधः बाथम-चौहान-राजपूत खानदान
रिशतेदारीः भाई आलिम सिंघ नच्चणा
कब शहीद हुएः 14 अक्टूबर 1700
कहाँ शहीद हुएः निरमोहगढ़
किसके खिलाफ लड़ेः बिलासपुर के पहाड़ी राजा अजमेरचँद की फौज
भाई केसरा सिंघ जी भाई छबीला के सुपुत्र भाई जीत के पोते और भाई
लध्धा के पड़पोते थे। आप बाथम-चौहान-राजपूत खानदान से संबंध रखते थे। आप गाँव खैरपुर
सादात, जिला मुजफ्फरगढ़ के वासी थे। यह परिवार भाई आलिम सिंघ नच्चणा के साथ नाता रखता
था। भाई केसरा सिंघ जी श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी की फौज के मुखी सिक्खों में
से एक थे। आप हमेशा गुरू साहिब जी की लड़ाईयों में सबसे आगे रहकर लड़ते थे। 14
अक्टूबर को जब गुरू साहिब जी निरमोहगढ़ की पहाड़ियों पर डेरा डालकर बैठे हुए थे तब
अजमेरचँद ने 14 अक्टूबर को एक बार फिर घेरा डाल दिया। इसमें बसाली का राजा सलाहीचँद
जो हमलावर राजा अजमेरचँद की दादी का जीजा था, अपने कुछ सिपाही लेकर आया था और सरसा
नदी के दूसरे किनारे पर रूक गया। उसने अपना दूत गुरू जी के पास भेजा और गुरू साहिब
जी से अरज की कि गुरू जी उसकी रियासत में आ जाएँ। गुरू जी सलाहीचँद की विनती मानकर
बसाली जाने के लिए तैयार हो गए। इस मौके पर सरसा नदी को पार करने के लिए जा रहे
सिक्खों पर अजमेरचँद की फौज ने हमला कर दिया। एक बार फिर भँयकर लड़ाई मच गई। भाई उदै
सिंघ के तीरों की बौछार ने पहाड़ियों को आगे न आने दिया, इसमें बहुत सारे पहाड़ी मारे
गए और खालसा फौज के जवान शहीद हो गए, इसमें भाई केसरा सिंघ जी आमने-सामने की लड़ाई
में शहीद हो गए।