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28. भाई मथरा सिंघ जी

  • नामः भाई मथरा सिंघ जी
    आपका छोटा भाई कलिआण सिंघ कुछ दिन पहले ही 29 अगस्त 1700 के दिन तारागढ़ किले की लड़ाई में शहीद हुआ था।
    पिता का नामः शहीद भाई दियाला जीभाई आपके पिता दयाला जी श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी के साथ चाँदनी चौक दिल्ली में शहीद हुए थे।
    दादा का नामः भाई माई दास के पोते
    पड़दादा का नामः शहीद भाई बल्लू जी
    आपके पड़दादा भाई बल्लू जी छठवें गुरू श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी के समय श्री अमृतसर साहिब जी की लड़ाई में शहीद हुए थे
    कब शहीद हुएः 8 अक्टूबर 1700
    कहाँ शहीद हुएः किला निरमोहगढ की लड़ाई
    किसके खिलाफ लड़ेः बिलासपुर के राजा अजमेरचँद

भाई मथरा सिंघ जी ने 8 अक्टूबर 1700 के दिन निरमोहगढ की लड़ाई में शहीदी जाम पीया था। भाई मथरा सिंघ जी, शहीद भाई दियाला जी के बेटे, भाई माई दास के पोते और शहीद भाई बल्लू जी के पड़पोते थे। भाई बल्लू जी छठवें गुरू श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी के समय श्री अमृतसर साहिब जी की लड़ाई में शहीद हुए थे और भाई दयाला जी श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी के साथ चाँदनी चौक दिल्ली में शहीद हुए थे। शहीद पिता और शहीद पड़दादा के इस वारिस का छोटा भाई कलिआण सिंघ कुछ दिन पहले ही 29 अगस्त 1700 के दिन तारागढ़ किले की लड़ाई में शहीद हुआ था। भाई मथरा सिंघ जी अपने भाईयों और पड़दादा जी की तरह ही बहादुर और दिलेर था। वो श्री गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी के खास दरबारी सिंघ थे और अक्सर गुरू साहिब जी के साथ ही रहते थे। जब अक्टूबर 1700 में गुरू साहिब जी पहाड़ियों का मान रखने की खातिर श्री आनँदगढ़ साहिब को छोड़कर निरमोहगढ़ चले गए तो बेईमान अजमेरचँद ने गुरू ही पर हमला कर दिया। इस हमले के दौरान सिक्खों और पहाड़ियों की जबरदस्त लड़ाई हुई। जिसमें भाई मथरा सिंघ जी अनेक हमलावरों को मारने के बाद शहीद हो गए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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