22. भाई दिआल सिंघ जी
भाई दिआल सिंघ जी पहली सितम्बर 1700 के दिन किला लोहगढ़ के बाहर
चरन गँगा के मैदान में शहीद हुए थे। भाई दिआल सिंघ जी भाई गुल्लू के पुत्र, भाई आंडू
के पोते और भाई जगना के पड़पोते थे। भाई जगना के पड़दादा भाई रणमल राठौर का परिवार
सिक्ख पँथ से पुश्त दर पुश्त जुड़ा रहा था। भाई रणमल के तीन पुत्र, भाई भोजा, भाई
रूपा और भाई गोदड़िया। भाई भोजा के तीन पोते (फत्ते, अमीआ और जग्गू) ने छठवें गुरू
श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी के समय में शहीदी पाई थी। भाई रणमल के सबसे छोटे
पुत्र भाई गोदड़ीआ के पुत्र भाई धूड़ा ने भी रूहीला की लड़ाई में शहीदी पाई थी। भाई
रणमल के बीच के पुत्र भाई रूपा के पड़पोते भाई आंडू के दो पुत्र थेः भाई केवल सिंघ
और भाई गुल्लू। भाई केवल सिंघ जी का पोता भाई करन सिंघ 6 अप्रैल 1709 के दिन गुरू
का चक्क (श्री अमृतसर साहिब जी) में शहीद हुआ था। भाई करन सिंघ जी के दो चाचा भाई
ईशर सिंघ जी और भाई सूरत सिंघ जी (पुत्र भाई केवल सिंघ जी) तारागढ़ और निरमोहगढ़ में
शहीद हुए थे। भाई दिआल सिंघ पहली सितम्बर के दिन निरमोहगढ़ किले के बाहर आकर चरनगँगा
के मैदान में अजमेरचँद बिलासपुरीए की फौजों के साथ लड़ते हुए और कईयों के सिर उतारते
हुए शहीद हुए।