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21. भाई सुक्खा सिंघ जी

  • नामः भाई सुक्खा सिंघ जी
    पिता का नामः भाई राए सिंघ
    दादा का नामः भाई माईदास
    पड़दादा का नामः शहीद बल्लू
    किस परिवार से संबंधः परमार-राजपूत खानदान
    कब शहीद हुएः पहली सितम्बर 1700
    कहाँ शहीद हुएः किला लोहगढ़ में बाहर चरन गँगा के मैदान में
    किसके खिलाफ लड़ेः बिलासपुर के राजा अजमेरचँद

भाई सुक्खा सिंघ जी ने पहली सितम्बर 1700 के दिन किला लोहगढ़ में बाहर चरन गँगा के मैदान में शहीदी प्राप्त की थी। भाई सुक्खा सिंघ जी भाई राए सिंघ के बेटे, भाई माईदास के पोते और शहीद बल्लू के पड़पोते थे। आप परमार-राजपूत खानदान से संबंध रखते थे। भाई सुक्खा सिंघ जी के पिता भाई राए सिंघ दो पुत्रों के साथ 29 दिसम्बर 1705 के दिन श्री आनँदपुर साहिब जी की लड़ाई में शहीद हुए थे। भाई राए सिंघ के एक बेटे भाई बाघ सिंघ जी ने एक दिन पहले ही 31 अगस्त की लड़ाई में किला अगंमगढ़ के बाहर शहीदी पाई थी। भाई सुक्खा सिंघ जी एक बहुत ही दिलेर नौजवान थे। आप सिक्ख फौज का एक कीमती हिस्सा थे। आप में फूर्ति और चुस्ती बेमिसाल थी। अगस्त 1700 के आखिर में बिलासपुर के राजा अजमेरचँद ने श्री आनँदपुर साहिब जी पर हमला कर दिया। तीन दिन की हार पर खीजकर उसने चौथे दिन पहली दिसम्बर को चौथे किले लोहगढ़ पर हमला कर दिया। लोहगढ़ किले का दरवाजा बहुत ही मजबूत था। इस दरवाजे को तोड़ने के लिए पहाड़ी राजाओं ने एक हाथी को शराब पीलाकर मस्त कर दिया और उसे दरवाजे की तरफ भेजा। इतनी देर में ही सिक्ख किले में से निकलकर हाथी की तरफ चरन गँगा के मैदान की तरफ बढ़े। भाई बचितर सिंघ जी के नागनी बरछे ने हाथी को पीछे की तरफ दोड़ा दिया और भाई उदै सिंघ जी ने अजमेरचँद के मामा केसरीचँद का सिर कलम कर दिया और कटे हुए सिर को बरछे पर टाँगकर किला आनँदगढ़ साहिब जी ले गया। इस लड़ाई में भाई सुक्खा सिंघ, भाई आलिम सिंघ चौहर बरदार, भाई कुशाल सिंघ और कई सिंघ शहीदी पा गए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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