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16. भाई नंद सिंघ जी

  • नामः भाई नंद सिंघ जी
    पिता का नामः आलिम सिंघ परमार
    भाई आलम सिंघ जी ने पहली सितम्बर 1700 के दिन किला लोहगढ़ के बाहर शहीदी जाम पीया था।
    दादा का नामः भाई दरीआ
    भाई दरिआ भाई मनी सिंघ जी के दादा शहीद भाई बल्लू का छोटा भाई था।
    पड़दादा का नामः भाई मूला
    सिक्खी में जुड़ेः श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से
    कब शहीद हुएः 30 अगस्त 1700
    कहाँ शहीद हुएः किला फतिहगढ़, श्री आनँदपुर साहिब जी
    किसके खिलाफ लड़ेः बिलासपुर के पहाड़ी राजा अजमेरचँद

भाई नंद सिंघ जी ने 30 अगस्त 1700 के दिन किला फतिहगढ़, आनँदपुर साहिब जी के बाहर हुई लड़ाई में "शहीदी जाम" पिया था। भाई नंद सिंघ जी भाई आलिम सिंघ परमार के पुत्र, भाई दरीआ के पोते और भाई मूला के पड़पोते थे। भाई दरिआ भाई मनी सिंघ जी के दादा शहीद भाई बल्लू का छोटा भाई था। भाई दरिआ का परिवार भी भाई बल्लू जी की तरह ही श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय से ही सिक्ख पँथ में शामिल हुआ था। जब श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी ने फौज बनाई तो इस परिवार के बहुत सारे लोग इसमें शामिल हुए। भाई दरिआ आप भी श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी के बहुत नजदीकी साथियों में से एक थे। वह गुरू साहिब जी के पास गुरू का चक्क (श्री अमृतसर साहिब जी) और कीरतपुर साहिब जी में अक्सर आते रहते थे। श्री गुरू हरिगोबिन्द साहिब जी के जोती-जोत समाने के बाद भाई दरीआ, श्री गुरू हरिराए साहिब जी के पास ही रहे थे। जब गुरू साहिब जी ने रामराए को औरंगजेब के बुलावे पर दिल्ली भेजा तो उन्होंने साथ में भाई दरिआ जी को भी भेजा था। जब आठवें गुरू श्री गुरू हरिक्रिशन साहिब जी दिल्ली गए तो भी भाई दरिआ जी उनके साथ ही थे। यानि भाई दरिआ जी तीन गुरू साहिबानों के खास दरबारी सिक्खों में से थे। भाई दरिआ जी के 9 पुत्र थे। उनमें से भाई आलिम सिंघ जी सबसे बड़े थे और भाई तुलसा जी सबसे छोटे थे। यह सारे 9 के 9 ही गुरू दरबार में अक्सर हाजिर होते रहते थे। इनमें से भाई आलम सिंघ और भाई गोकल सिंघ जी श्री गुरू गोबिन्द साहिब जी की फौज में शामिल थे। भाई आलम सिंघ जी ने पहली सितम्बर 1700 के दिन किला लोहगढ़ के बाहर शहीदी जाम पीया था। इसी प्रकार भाई गोकल सिंघ जी 14 अक्टूबर 1700 के दिन निरमोहगढ़ में शहीद हुए थे। भाई आलिम सिंघ के 13 पुत्र थे। इनमें से भी कई जवान खालसा फौजों में शामिल थे। भाई आलिम सिंघ के 13 पुत्रों में से सबसे बड़े हुक्म सिंघ जी थे और सबसे छोटे भाई गुलजार सिंघ जी जो कि 30 अगस्त 1700 के दिन किला फतिहगढ़ में शहीद होने वाले भाई आलिम सिंघ जी के ग्यारहवें पुत्र थे। उससे छोटा जीत सिंघ और सबसे छोटा गुलजार सिंघ था। भाई गुलजार सिंघ 24 जून 1734 के दिन भाई मनी सिंघ जी के साथ शहीद हुआ था।। भाई गुलजार सिंघ जी की खाल उतारकर शहीद किया गया था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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