12. भाई कलियाण सिंघ जी
भाई कलियाण सिंघ जी 29 अगस्त 1700 के दिन किला तारागढ़ की लड़ाई
में शहीद हुए थे। भाई कलियाण सिंघ जी भाई दयालदास (दयाला जी) जो कि 11 नबम्बर 1675
को दिल्ली के चाँदनी चौक में शहीद हुए थे, उनके पुत्र थे। भाई कलियाण सिंघ जी भाई
माई दास जी के पोते और भाई बल्लू जी के पड़पोते थे। भाई मनी सिंघ जी आपके चाचा जी
थे। भाई कलियाण सिंघ शहीद भाई दयाला जी का पुत्र होने की वजह से पहले से ही सिक्खों
में खास स्थान रखते थे। भाई कलियाण सिंघ जी हुरीं तीन भाई थे। इसमें सबसे बड़ा भाई
मथरा सिंघ था और सबसे छोटा भाई धरम सिंघ था। भाई कलियाण सिंघ जी शहीदी के समय अभी
कुँवारे थे। (भाई कलियाण सिंघ जी के बड़े भाई मथरा सिंध जी ने 8 अक्टूबर सन 1700 के
दिन निरमोहगढ़ में शहीदी प्राप्त की थी)। भाई कलियाण सिंघ जी एक तगड़े नौजवान थे, जो
किला तारागढ़ में तैनात थे। जब 29 अगस्त के दिन बिलासपुर के राजा अजमेरचँद की फौजों
ने इस किले पर अचानक हमला कर दिया तो वहाँ पर सिर्फ गिनती के ही सिक्ख थे। इन गिनती
के सिक्खों के साथ साहिबजादे अजीत सिंघ जी ने डटकर मुकाबला किया। इस लड़ाई में जीत
तो सिक्खों की हुई लेकिन मौके पर भाई कलियाण सिंघ जी और कुछ ओर सिक्ख शहीदी पा गए।