9. भाई जैता जी
भाई जैता जी और भाई सीगारू बड़े ही बहादुर और परोपकारी सिक्खों में से एक थे। वह भी
श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय सिक्ख पँथ में शामिल हुए थे। सिक्खों की भगतमाला
के लेखक मुताबिक पाँचवें गुरू श्री गुरू अरजन देव साहिब जी ने उन्हें बताया था किः
हमने शस्त्र पकड़ने हैं और हरगोबिन्द का रूप धारण करके पकड़ने हैं। समय कलयुग का है।
शस्त्रों की विद्या करके मीर की मीरी लेनी है और शब्द की प्रीत करके पीर की पीरी
लेनी है। तुम छेवीं पातशाही की हजूरी में रहना। जब गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने फौज
बनाई तो भाई जैता जी उसमें शामिल हुए। भाई जैता जी गुरिल्ला युद्ध में बहुत ही
महारत रखते थे। जब मुगल फौजों ने श्री अमृतसर पर हमला किया तो भाई जैता जी ने इस
युद्ध में वह ताँडव मचाया कि मुगल अली, अली करने लगे। शाही फौज श्री अमृतसर साहिब
जी आ पहुँची। गुरू जी को इतनी जल्दी हमले की उम्मीद नहीं थी। जब लड़ाई गले तक आ
पहुँची तो गुरू जी ने लोहा लेने की ठान ली। पिप्पली साहिब में रहने वाले सिक्खों के
साथ गुरू जी ने दुशमनों पर हमला कर दिया। शाही फौजों के पास काफी जँगी सामान था, पर
सिक्खों के पास केवल चड़दी कला और गुरू जी के भरोसे की आस। भाई तोता जी, भाई निराला
जी, भाई नन्ता जी, भाई त्रिलोका जी जुझते हुये शहीद हो गये। दूसरी तरफ करीम बेग,
जँग बेग, सलाम खान किले की दीवार गिराने में सफल हो गये। दीवार गिरी देख गुरू जी ने
बीबी वीरो के ससुराल सन्देश भेज दिया कि बारात अमृतसर की ब्जाय सीघी झबाल जाये। (बीबी
वीरो जी गुरू जी की पुत्री थी, उनका विवाह था, बारात आनी थी।) रात होने से लड़ाई रूक
गयी, तो सिक्खों ने रातों-रात दीवार बना ली। दिन होते ही फिर लड़ाई शुरू हो गयी।
सिक्खों की कमान पैंदे खान के पास थी। सिक्ख फौजें लड़ते.लड़ते तरनतारन की तरफ बड़ी।
गुरू जी आगे आकर हौंसला बड़ा रहे थे। चब्बे की जूह पहुँचकर घमासान युद्व हुआ। भाई जैता जी ने इस युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए शहीदी प्राप्त की और वह भी इस युद्ध
के 13 शहीद सिक्खों में शामिल हो गए। गुरू बिलास पातशाही छेवीं में भाई जैता जी की
शहीदी का वर्णन इस प्रकार से किया गया हैः
भाई जैता जीत मलेछन कौ, भाई पिराणा सु प्रेम के बीच समाए ।।
(चेप्टर 11, छंद 12)
गुरू जी ने सारे शहीदों के शरीर एकत्रित करवाकर अन्तिम
सँस्कार किया। 13 सिक्ख शहीद हुये जिनके नामः
1. भाई नन्द (नन्दा) जी
2. भाई जैता जी
3. भाई पिराना जी
4. भाई तोता जी
5. भाई त्रिलोका जी
6. भाई माई दास जी
7. भाई पैड़ जी
8. भाई भगतू जी
9. भाई नन्ता (अनन्ता) जी
10. भाई निराला जी
11. भाई तखतू जी
12. भाई मोहन जी
13. भाई गोपाल जी
शहीद सिक्खों की याद में गुरू जी ने गुरूद्वारा श्री सँगराणा
साहिब जी बनाया।