37. भाई मथरा भट जी
भाई मथरा जी ने रूहीला की लड़ाई में शहीदी जाम पिया था। भाई मथरा भट भाई भीखा भट के
पुत्र और भाई रईया के पौतरे थे। यह कोशिश गौड़ ब्राहमण खानदान से संबंध रखते थे। भट
बहुत बढ़िया कवि भी थे और जजमानों की पुरोहिती का काम भी करते थे। अपने जजमानों की
खुशी और गमी के मौकों पर हाजिर होकर मुबारक देना और लोगों से ईनाम लेना उनका रोजगार
था। इन्ही दिनों में वो अपने जजमानों के नाम और कूर्सीनामे दर्ज करते रहते थे। जब
कोई खास घटना होती थी तो वो उसे दर्ज करते रहते थे। जब किसी जजमान के यहाँ पर कोई
खास दिन होता तो वो उनके कूर्सीनामे या उनके पूर्वजों के संबंधित खास बातें तारीफ
के रूप में किया करते और उन्हें खुश किया करते थे। इसके बदले में उन्हें इनाम मिला
करता था। भाई मथरा जी के पूर्वज श्री गुरू अमरदास साहिब के समय सिक्ख पँथ में शामिल
हुए थे। जब श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी जी ने फौज बनाई तो राजपूतों और खत्रियों
के साथ-साथ ब्राहम्ण भी फौज में भर्ती हुए। भट परिवार में भीखा भट का परिवार गुरूघर
में खास स्थान रखता था। श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में इस परिवार के कई लोगों की
बाणी शामिल है और भाई मथरा भट के अपने भी सात सलोक श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी में
शामिल हैं। इन सलोंकों में भाई मथरा भट ने गुरू रामदास साहिब और गुरू अरजन साहिब जी
की शखसियत का ब्यान किया है। श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी की लड़ाई रूहेला (हरगोबिन्दपुर)
में हुई थी। इस लड़ाई में उनके साथ-साथ भाई मथरा भट ने भी लड़ाई में बहादूरी के बहुत
जौहर दिखाए और इस लड़ाई में उसने शहीदी जाम भी पिया। इस लड़ाई में उन्होंने औरों के
अलावा मुगल जरनैल बैरम खाँ और इमाम बख्श को भी मारा था।