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31. भाई जटटू जी

भाई जटटू जी छठवें गुरू साहिबान जी के समय के एक प्रमुख सिक्खों में से एक थे। वह बहुत ही ताकतवर, बहादुर और जोशीले सिक्ख थे। जब श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने फौज का गठन किया तो भाई जटटू जी अपने बहुत से साथियों के साथ इस फौज में शामिल हुए।

गुरू सूर बांके। गिने नाम तां को। जटटू सूर जानो। कलयाना सु नानो ।।

रूहीला (हरगोबिन्दपुर) में जब भगवाना घेरड़ और चन्दू के पुत्र करमचंद ने श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी पर हमला कर दिया तो बुरी तरह से हार खाई। इस लड़ाई में भाई जटटू जी ने बहादुरी के खूब जौहर दिखाए। भगवान घेरड़ और चन्दू का पुत्र मुगलों को भी रूहीला की लड़ाई में शामिल करके ले आए। इस लड़ाई में भाई जटटू ने कमाल का युद्ध किया। भाई जटटू जी का मुकाबला मुगलों के सरदार मुहम्मद खान से हुआ। मुहम्मद खान और भाई जटटू जी ने पहले-पहल तो तीरों से एक-दूसरे का मुकाबला किया। मुगल जरनैल के चलाए तीरों को भाई जटटू जी हवा में ही तोड़ देते थे। भाई जटटू जी ने तीर चला-चलाकर बहुत से मुगल सिपाही गिरा दिए। बहुत सारे मुगल फौजी मरते हुए देखकर मुगलों ने भी तीर चलाने शुरू कर दिए और बहुत सारे सिक्खों को शहीद कर दिया। तीर खत्म होने पर तलवारों से लड़ाई शुरू हो गई। भाई जटटू जी का मुकाबला मुगल जनरैल मुहम्मद खान के साथ हुआ। मुहम्मद खान एक माना हुआ जनरैल माना जाता था। दोनों एक-दूसरे पर लगातार वार करते रहे। आखिर में दोनों की तलवारों ने अपना-अपना निशाना मार लिया और दोनों ही अपनी जान पर खेल गए। इस प्रकार भाई जटटू जी ने भी शहीदी प्राप्त की।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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