30. भाई सकतू और भाई परसराम जी
भाई सकतू और भाई परसराम जी छठवें गुरू, श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी के प्रमुख
सिक्खों में से एक थे। आप दोनों ही रूहीला (हरगोबिन्दपुर) की लड़ाई में बड़ी ही
बहादुरी के साथ लड़े। यह लड़ाई दो दिन तल चली। आप जी ने दुशमनों को चीरते हुए शहीदी
जाम पिया। गुरूबिलास पातशाही छैवीं का लेखक भाई सकतू जी की बहादुरी का जिक्र ऐसे
करता हैः
पिरागा मथुरा सूर भन जगना जोध अपार ।।
परस राम मोलक सकतू सत्रु संघार ।।67।।
परस राम सकतू तबै बिनती करी अपार ।।
महाराज आगया करो तव बल सत्रु संघार ।।155।।
गुरू कीन आगया ।। चले प्रेम पागया ।।
कछू सैन लीनी ।। नही संक कीनी ।।156।।
दु मूऐ सु सैना ।। कहै लाल नैना ।।
तबै बान डारे ।। ई सु मारे ।।157।।
सु लोखं किनारा ।। बही लोह धारा ।।
सिवा गीत गावै ।। कि मुंडं बनावै ।।158।।
कहू बाज मारे ।। कहू पोट फारै ।।
कहू रूह छुटं ।। कहु सीस फुटं ।।159।।
नदी स्रोण पूरं ।। फिरे गैण हुरं ।।
छिदं देह लागे।। फिरै सूर भागे ।।160।।
कागड़दं कोपी मागड़दं सैना ।।
तागड़दं तयाग यो बागड़दं बीरं ।।161।।
फागड़दं फीलं छागड़दं छुटे ।।
रागड़दं सुरं जागड़दं जुटटे ।।
बागड़दं बाजे नागड़दं नगारे ।।
जागड़दं जोधा मागड़दं मारे ।।162।।
इह बिधि सैन संघार कहि घनो घरन को गार ।।
परस राम सकतू तबै धरन मुरछार ।।163।।
जड़ं बिसान जोधे तबै धरे देव तन रूप ।।
दिखि बिधीआ बिसमै भयो मनहु इंद्र वर रूप ।।164।।