21. भाई निहालू जी
भाई निहालू जी भी, श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के समय के प्रॅमुख सिक्ख थे। वह श्री
गुरू हरगोबिन्द साहिब जी के समय में श्री अमृतसर साहिब जी आते-जाते रहते थे। जब समय
की परिस्थितियों और पाँचवें गुरू श्री गुरू अरजन देव साहिब जी की शहीदी के पश्चात,
श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने फौज का गठन किया तो भाई निहालू जी भी इस फौज का
हिस्सा बने और उन्होंने एक जाँबाज और बहादुर योद्धा बनने के लिए युद्ध का प्रशिक्षण
प्राप्त किया और वह भी एक बहादुर सिक्ख योद्धा बने। जब श्री अमृतसर साहिब जी पर
मुगलों ने हमला किया तो आप उस समय गुरू के चक्क (श्री अमृतसर साहिब जी) में ही थे।
शाही फौज श्री अमृतसर साहिब जी आ पहुँची। गुरू जी को इतनी जल्दी हमले की उम्मीद नहीं
थी। जब लड़ाई गले तक आ पहुँची तो गुरू जी ने लोहा लेने की ठान ली। पिप्पली साहिब में
रहने वाले सिक्खों के साथ गुरू जी ने दुशमनों पर हमला कर दिया। शाही फौजों के पास
काफी जँगी सामान था, पर सिक्खों के पास केवल चड़दी कला और गुरू जी के भरोसे की आस।
भाई तोता जी, भाई निराला जी, भाई नन्ता जी, भाई त्रिलोका जी जुझते हुये शहीद हो गये।
दूसरी तरफ करीम बेग, जँग बेग, सलाम खान किले की दीवार गिराने में सफल हो गये। दीवार
गिरी देख गुरू जी ने बीबी वीरो के ससुराल सन्देश भेज दिया कि बारात अमृतसर की ब्जाय
सीघी झबाल जाये। (बीबी वीरो जी गुरू जी की पुत्री थी, उनका विवाह था, बारात आनी
थी।) रात होने से लड़ाई रूक गयी, तो सिक्खों ने रातों-रात दीवार बना ली। दिन होते ही
फिर लड़ाई शुरू हो गयी। सिक्खों की कमान पैंदे खान के पास थी। सिक्ख फौजें लड़ते.लड़ते
तरनतारन की तरफ बड़ी। गुरू जी आगे आकर हौंसला बड़ा रहे थे। चब्बे की जूह पहुँचकर
घमासान युद्व हुआ। भाई निहालू जी ने इस युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए शहीदी
प्राप्त की और वह भी इस युद्ध के 13 शहीद सिक्खों में शामिल हो गए। गुरू बिलास
पातशाही छेवीं में भाई निहालू जी की शहीदी का वर्णन इस प्रकार से किया गया हैः
निहालू तखतू ऐ बड सुरे।।
मोहन गुपाला प्रण के पूरे ।।
ऐ मम तेरह सूर अपारो ।।
मम निमित इह सुरग सिधारो ।।4।। (चेप्टर 11)
गुरू जी ने सारे शहीदों के शरीर एकत्रित करवाकर अन्तिम
सँस्कार किया। 13 सिक्ख शहीद हुये जिनके नामः
1. भाई नन्द (नन्दा) जी
2. भाई जैता जी
3. भाई पिराना जी
4. भाई तोता जी
5. भाई त्रिलोका जी
6. भाई माई दास जी
7. भाई पैड़ जी
8. भाई भगतू जी
9. भाई नन्ता (अनन्ता) जी
10. भाई निराला जी
11. भाई तखतू जी
12. भाई मोहन जी
13. भाई गोपाल जी
शहीद सिक्खों की याद में गुरू जी ने गुरूद्वारा श्री सँगराणा
साहिब जी बनाया