20. भाई नंदा (नंद) जी
भाई नंदा जी मंघेड़ा एक श्रद्धावान किसान थे। वह गुरू अरजन देव साहिब जी के समय में
सिक्ख धर्म में शामिल हुए। जब श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी ने फौज बनाई तो आप भी
उसमें शामिल हुए और शस्त्र विद्या ग्रहण की। भाई नंदा जी की बहादुरी का किस्सा इस
प्रकार है कि जब श्री अमृतसर साहिब जी पर मुगलों ने मुखलिस खान अगुवाई में आक्रमण
कर दिया तो भाई नंदा जी उस समय श्री अमृतसर साहिब जी में ही मौजूद थे। उन्होंने इस
युद्ध में जमकर लोहा लिया और मुगलों का सत्यानाश ही करके रख दिया। एक समय ऐसा आया
कि गर्म रणक्षेत्र में उनकी तलवार ही टूट गई, परन्तु वह अपने हाथों से मलयूद्ध ही
करने लगे उन्होंने मुगल जरनैल मिरजा बेग को पकड़कर गिरा लिया और दुशमनों के वारों से
वह शहीदी प्राप्त कर गए। भाई नंदा जी के बारे में गुरू बिलास पातशाही छेवीं में इस
प्रकार से वर्णन आता हैः
भाई नंदा अनंद करो मन मै मम तयाग कहो किह हेति सिधाए ।।
(चेप्टर 11, छंद 12, गुरूबिलास पातशाही छेवीं)
भाई नंदा जी भी श्री अमृतसर साहिब जी में हुए युद्ध में 13
शहीदों में शामिल हो गए। गुरू जी ने सारे शहीदों के शरीर एकत्रित करवाकर अन्तिम
सँस्कार किया। 13 सिक्ख शहीद हुये जिनके नामः
1. भाई नन्द (नन्दा) जी
2. भाई जैता जी
3. भाई पिराना जी
4. भाई तोता जी
5. भाई त्रिलोका जी
6. भाई माई दास जी
7. भाई पैड़ जी
8. भाई भगतू जी
9. भाई नन्ता (अनन्ता) जी
10. भाई निराला जी
11. भाई तखतू जी
12. भाई मोहन जी
13. भाई गोपाल जी
शहीद सिक्खों की याद में गुरू जी ने गुरूद्वारा श्री सँगराणा
साहिब जी बनाया।