19. भाई फत्ते चंद जी
भाई फत्तेचंद, भाई धरमा के पुत्र, भाई भोजे के पोते और भाई रण मल जी के पड़पोते थे।
आप करतारपुर (जालँधर) की लड़ाई में शहीद हुए थे। यह राठौर जाति के राजपूत थे। यह सारे
अलग-अलग समय में खैरपुर, जिला मुजफ्फरगढ़, जो मुलतान से 120 किलोमीटर की दूरी पर है,
सोधरा, जिला वज़ीराबाद और लाडवा (हरियाण) में ही रहते थे। यह परिवार गुरू अरजन देव
साहिब जी के समय सिक्ख पँथ में शामिल हुआ था। भाई फत्तेचंद उसके भाई अमीआ और भाई
जग्गू गुरू हरगोबिन्द साहिब जी की फौज के मुख्य सिपाहियों में से थे। इन तीनों ने
गुरू साहिब जी पर हुए हमलों में अपनी बहादुरी के जौहर दिखाए थे। जब पैंदे खान मुगल
फौजों को करतारपुर (जालँधर) पर चढ़ा ले आया तो श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी के पास
बहुत सारे सिक्ख योद्धा मोजूद थे। इस समय मुगल फौजों की गिनती चाहे बहुत ज्यादा थी
परन्तु सिक्ख योद्धाओं ने वो मारकाट मचाई कि मुगल फौज पीछे हटने लगी। कई हजार मुगल
सिपाही इस युद्ध की भेंट चढ़ गए। इस मौके पर बहुत से सिक्ख योद्धाओं ने शहीदी जाम
पीया। शहीद होने वाले वीर योद्धाओं में भाई अमीआ जी भी शामिल थे। भाई फत्तेचंद के
साथ उनका भाई अमीआ जी भी उनके कँधे से कँधा मिलाकर शहीद हो गया था।