18. भाई माधो जी
भाई माधो जी, भाई बल्लू के पुत्र, भाई मूले के पोते और भाई राओ के पड़पोते थे। भाई
मनी सिंघ आपके सगे भतीजे थे। आप परमार राजपुत परिवार से संबंध रखते थे। आपका परिवार
पाँचवीं पातशाही के पास और गुरू घर से जुड़ा हुआ था। जब छेवीं पातशाही श्री गुरू
हरगोबिन्द साहिब जी ने फौज का गठन किया तो आप भी इस फौज में शामिल हुए। भाई माधो जी
बड़े ही बहादुर और जाँबाज जवान थे। आपने श्री अमृतसर साहिब और महिराज की लड़ाई में
बहादुरी दिखाई थी और बहुत सारे मुगल सिपाहियों को मौत के घाट उतारा था। जब पैंदे
खान मुगल फौजों को करतारपुर (जालँधर) पर चढ़ा ले आया तो श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब
जी के पास बहुत सारे सिक्ख योद्धा मोजूद थे। इस समय मुगल फौजों की गिनती चाहे बहुत
ज्यादा थी परन्तु सिक्ख योद्धाओं वो मारकाट मचाई कि मुगल फौज पीछे हटने लगी। इस मौके
पर भाई माधो जी ने भी बहादुरी के जौहर दिखाए। भाई माधो जी का मुकाबला असमान खाँ
झांगड़ी और उसके साथियों के साथ हुआ। हाथों-हाथ लड़ाई में भाई माधो जी ने कई मुगल
सिपाही मार डाले और आखिर में आप भी शहीद हो गए। उनके भाई नठीआ जी भी इस लड़ाई में
बुरी तरह से जख्मी हो गए।