15. भाई दासा जी
(भटट वही तलउंढा परगणा जींद, खाता रमानों का) भटट वही में एक "भाई दासा बेटा बल्लू
का" की शहीदी का जिक्र है। आप भी फगवाड़े में उस समय शहीद हुए जब श्री गुरू
हरगोबिन्द साहिब जी करतारपुर की लड़ाई लड़ने के बाद श्री कीरतपुर साहिब जी जा रहे थे
तो फगवाड़े के नजदीक मुगल फौज के एक दस्ते ने उन पर हमला कर दिया था। आप गुरू
हरगोबिन्द साहिब जी की फौज के एक बहादुर सिपाही थे। करतारपुर की लड़ाई में आपने ने
भी बहादुरी के बहुत जौहर दिखाए और हमलावर मुगल सिपाहियों में से सैकड़ों को मौत के
घाट उतारा था। इस युद्ध में गुरू साहिब जी की जीत हुई थी। इस युद्ध के बाद जब गुरू
साहिब जी सुबह के समय कीरतपुर साहिब जी जा रहे थे, जब वह रास्ते में फगवाड़ा से निकल
रहे थे, तब मुगल फौजों ने गुरू साहिब जी पर हमला कर दिया इस मौके पर भाई दासा जी
डटकर लड़े और बहुत सारे मुगल सिपाहियों को अपनी तलवार की भेंट चड़ा दिया। आखिर में
जूझते-जूझते आप जी की भी शहादत हो गई।