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6. जक्रिया खान द्वारा पुनः सिक्खों का दमन चक्र अभियान

नादिरशाह के लौटने के उपरान्त जक्रिया खान को उसकी दी हुई सीख को बहुत गम्भीरता से लिया, उसे अब चारों ओर केवल सिक्खों की बढ़ती हुई शक्ति से भय दिखाई देने लगा। उसे अहसास होने लगा कि सिक्ख कभी भी उसका तख्ता पलट सकते हैं और उसके हाथ से सत्ता छिन जायेगी। अतः उसने अपना सम्पूर्ण बल सिक्खों के सर्वनाश के लिए लगा दिया। सर्वप्रथम उसने समस्त प्रान्त के क्षेत्रीय, प्राशसनिक अधिकारियों की एक सभा बुलाई, जिसमें सिक्खों के प्रति बहुत कड़े आदेश दिये गए। इन आदेशों में कहा गया कि समस्त सिक्ख सम्प्रदाय को विद्रोही जानकर उनको मृत्युदण्ड दिया जाए, भले ही वह अग्रवादी हों अथवा शान्तिवादी। यदि इनमें से कोई इस्लाम स्वीकार कर लेता है तो उसे क्षमा किया जा सकता है, अन्यथा विभिन्न प्रकार की यातनाएँ देकर मौत के घाट उतार दिया जाए। जो लोग ऐसा करने में प्रशासन की सहायता करेंगे, उन्हें पुरस्कार दिए जाएँगे, इसके विपरीत जो लोग प्रशासन की सहायता न करके सिक्खों को प्रोत्साहित करेंगे उन्हें कड़े दण्ड दिए जाएँगे। इस आदेश को व्यवहारिक रूप देने के लिए उसने अपनी समस्त सुरक्षा बल की टुकड़ियों को विभिन्न दिशाओं में गश्त करने के लिए भेज दिया। जक्रिया खान ने दल खालसा के नायक नवाब कपूर सिंह जी को सँदेश भेजा, वह नादिर से लूटे हुए खजाने का आधा भाग उसे लौटा दे अन्यथा सीधी टक्कर के लिए तैयार हो जाएँ। इसके उत्तर में सरदार कपूर सिंह जी ने कहलवा भेजा कि बबर शेर की दाढ़ में से माँस ढूँढते हो, ऐसा सम्भव ही नहीं है। अब नवाब साहिब शत्रु से सतर्क हो चुके थे, उन्होंने टकराव से बचने के लिए अपनी सेना को दूर प्रदेश में जाने का आदेश दे दिया। इसके पीछे उनकी कुछ विवशताएँ भी थी। नादिर की सेना से जूझते हुए उनके बहुत से योद्धा वीरगति प्राप्त कर गए थे। अधिकाँश सैनिक घायल अवस्था में उपचार हेतु बिस्तर पर पड़े हुए थे। कुछ उन महिलाओं को उनके घरों में वापिस छोड़ने के लिए गये हुए थे, जो उन्होंने नादिर की दासता से मुक्त करवाई थीं। कुछ एक उन युवतियों के आग्रह पर सिक्ख योद्धाओं ने विवाह कर लिया था, जिन्हें नवाब साहिब ने आज्ञा प्रदान कर दी थी। वे योद्धा भी नवविवाहित होने के कारण छुट्टी पर थे। भले ही नवाब साहिब को नये युवकों की भर्ती बहुत सहज रूप में मिल रही थी किन्तु अप्रशिक्षित सैनिकों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। अतः नवाब साहिब कुछ समय के लिए जक्रिया खान से भिड़ना नहीं चाहते थे। भले ही इस समय उनके पास रण सामग्री की कमी नहीं थी तथा आर्थिक दशा भी बहुत मजबूत थी। तथापि आपने शान्ति बनाए रखने में सभी की भलाई समझी और लाहौर नगर से दूर रहने की नीति अपनाई।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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