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11. पैंदे खान

जब श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी पँजाब के माँझे क्षेत्र के दौरे पर थे, तब आप जी श्री करतारपुर साहिब ठहरे। यह नगर श्री गुरू अरजन देव जी द्वारा बसाया गया था। जब स्थानीय संगत के ज्ञात हुआ कि गुरू अरजन देव के सुपुत्र श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी पधारें हैं तो वहाँ जनसमूह एकत्रित हुआ। आपकी उपमा सुनकर इस क्षेत्र के पठान कबीले के लोग इस्माइल खान नामक चौधरी के नेतृत्व में आपकी शरण में आये और उन्होंने विनती की कि उन्हें आप अपनी सेना में भर्ती कर लें। इन युवकों में एक गिलजी जाति से संबंधित पठान बहुत ही सुन्दर, हुष्ठ-पुष्ठ शरीर का था, जिसका नाम पैंदे खान था। गुरू जी ने इस पठान को योद्धा के रूप में देखकर प्रसन्न हो उठे।

 

आपने इन लोगों में से छब्बीस जवानों को अपनी सेना में भर्ती कर लिया और पैंदे खान को गुरू जी ने विशेष प्रशिक्षण देने के विचार से कुछ अधिक सुख-सुविधाएँ प्रदान कर दी और उसे बहुत पोष्टिक आहार दिया जाने लगा। जल्दी ही पैंदे खान पहलवान के रूप में उभरकर प्रकट हुआ। वह शारीरिक शक्ति के कई करतब दिखाकर जनसाधारण को आश्चर्य में डाल देता था। उसने अपनी वीरता का प्रदर्शन तब किया जब लाहौर के राज्यपाल की सेना को क्षर भर में मृत्यु शैया पर सुला दिया। गुरू जी के साथ अन्तिम युद्ध के प्रतिद्वन्द्वी के रूप में पैंदे खान स्वयँ ही था। इन घटनाओं का विस्तृत वर्णन आगे दिया जायेगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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