40. भाई बन्नो जी द्वारा तैयार करवाई
गई बीड़
भाई बन्नो जी जिला गुजरात पश्चिमी पँजाब की तहसील फालिया के एक गाँव माँगट के निवासी
थे। आप जी श्री गुरू अरजन देव साहिब जी के अनन्य सिक्ख थे। जब श्री गुरू अरजन देव
जी श्री आदि बीड़ साहिब जी का सम्पादन करवा रहे थे तो उन दिनों भाई बन्नों जी की
नियुक्ति सभी प्रकार की देखरेख व आवश्यक सामाग्री जुटाने की थी। जब गुरू जी ने
महसूस किया कि लगभग नया ग्रन्थ साहिब तैयार होने वाला है तो उनके समक्ष एक ही
प्रश्न था कि श्री ग्रन्थ साहिब जी को श्री हरिमन्दिर साहिब जी में प्रकाशमान करने
के पश्चात इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि तैयार करना असम्भव हो जाएगा। अतः समय रहते ही इस
कार्य को भी साथ कर लेना चाहिए। उन्होंने अपने दिल की बात भाई बन्नो जी को बताई तो
उन्होंने तुरन्त उन लिखने वालों को एकत्रित किया जो गुरूबाणी के गुटके अथवा पोथियां लिखकर संगतों में वितरण किया करते थे। इन लोगों ने इस कार्य को अपनी जीविका का साधन
बनाया हुआ था। पुरातन ग्रन्थों में इनकी सँख्या 12 बताई गई है। गुरू जी ने, ग्रन्थ
साहिब जी के वह भाग जो पूर्ण हो चुके थे, लिखने के लिए उन लोगों में बाँट दिए और
प्रतिलिपि तैयार करने की आज्ञा दी। इन सभी लोगों ने यह कार्य लगभग डेढ़ मास में
सम्पूर्ण कर दिया। जैसे ही मुख्य ग्रन्थ आदि बीड़ का कार्य सम्पन्न हुआ। गुरू जी ने
भाई बन्नो जी को आदेश दिया कि इन दोनों ग्रन्थों को लाहौर ले जाएँ और वहाँ से इनकी
जिल्द बनवाकर लाएँ। भाई बन्नो जी ने ऐसा ही किया।