4. सँयुक्त पँजाबी राज्य
अब रणजीत सिंघ जी ने लाहौर नगर और समस्त क्षेत्र के प्रबन्ध की तरफ विशेष ध्यान दिया।
राज्य प्रबन्ध के मामले में केवल योग्यता को ध्यान में रखकर नियुक्तियाँ की गई। इस
प्रकार हिन्दुओं, मुसलमानों तथा सिक्खों को, सबको सम्मिलित किया गया। शहर को मौहल्ले
में बाँटा गया और प्रत्येक मौहल्ले के लिए चौधरी नियुक्त किया गया। मुसलमानों के
झगड़ों के बारे में इस्लामी शरह का प्रयोग करने का आदेश दिया गया। काजी नूरदीन को
लाहौर का काजी नियुक्त किया गया और सेंदुल्ला चिश्ती तथा मुहम्मदशाह मुफती सहायक
नियुक्त किए गए। नगर में एक सरकारी निःशुल्क अस्पताल, दवाखाना खोला गया। जो फकीर
अजीज़दीन के भाई हकीम नूरदीन को सुपुर्द हुआ। नगर में शान्ति बनाये रखने के लिए तथा
नागरिकों की सुरक्षा करने के लिए पुलिस विभाग बनाया गया, इस कार्यालय में कोतवाल के
रूप में इमाम बख्श को नियुक्त किया गया। स्कूलों, पाठशालाओं, मदरसों इत्यादि
सँस्थाओं को खुले दिल से आर्थिक सहायता दी गई। गाँवों में पँचायतें कायम की गई जो
कि न केवल झगड़े ही निपटाती थी बल्कि साँझे स्थानीय मामलों का भी प्रबन्ध करती थी।
सरकारी कर्मचारियों की अगुवाई, मार्गदर्शन के लिए जो नियमावली बनाई गई, उनमें
सर्वप्रथम नियम यह था कि प्रत्येक राज्यकर्मी का कर्त्तव्य है कि प्रजा, जनता की
भलाई को ध्यान में रखकर कार्य किए जाएँ। इस प्रकार रणजीत सिंघ जी ने अपने क्षेत्र
में पँजाबियों का साँझा राज्य कायम किया। उनकी तीव्र इच्छा थी कि सारे पँजाब में ही
ऐसा राज्य स्थापित किया जा सके।