37. पोते, कुँवर नौनिहाल सिंघ का
विवाह
मार्च सन् 1837 (चैत्र संवत् 1894) में महाराजा रणजीत सिंघ जी ने अपने पोते, महाराजा
खड़क सिंह के सुपुत्र कुँवर नौनिहाल सिंघ का विवाह सरदार शाम सिंह जी अटारी की
सुपुत्री, बीबी नानकी जी के साथ बहुत धूमधाम से किया। इतिहासकारों की राय है कि
दुनिया में कहीं भी और कभी भी किसी विवाह पर इतना रूपया व्यय नहीं हुआ और उसमें इतने
लोग शामिल नहीं हुए जितने कि इस विवाह में शामिल हुए। महाराजा साहिब के मेहमानों की
सँख्या पाँच लाख के करीब थी और उन्होंने एक दिन में बीस लाख रूपया गरीबों को बाँटा।
फरीदकोट, पटियाला, नाभा, जींद, कलसोआ, कपूरथला, नारायणगढ़, मलेरकोटला, मण्डी सुकेत
आदि के राजा इस विवाह पर पहुँचे। अँग्रेजी सरकार की ओर से फौज का महासेनापित सर
हैनरी फेन, उसकी मेम तथा और बहुत से कर्मचारी आए। महाराजा साहिब जी ने भी दिल खोलकर
व्यय किया और आगे से सरदार शाम सिंह अटारी ने भी कोई कमी नहीं छोड़ी। ऐसा शानदार
विवाह शायद ही कभी और जगह हुआ हो।