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31. हजारे पर फतह

पठानी राज्य के समय हज़ारे का जिला कश्मीर का हिस्सा था। कश्मीर महाराजा साहिब ने फतेह कर लिया था पर हजारे के पठान अभी भी अपने आपको काबुल के अधीन समझते थे। वे महाराजा साहिब का अधिकार नहीं मानते थे। कश्मीर का प्रबन्ध ठीक करने के पश्चात् सरकार ने 1820 में हजारे की ओर ध्यान दिया और शहजादा शेर सिंघ की कमान में हजारों लोगों को ठीक करने के लिए सेना भेजी। इस सेना के साथ सरदार फतेह सिंघ आहलूवालिया, सरदार शाम सिंघ अटारी तथा दीवान रामदयाल भी थे। आगे से पठान भी लड़ाई के लिए तैयार थे। लड़ाई आरम्भ हुई। नौजवान सेनापति रामदयाल एक पठानी दस्ते का पीछा करता हुआ मारा गया। सिक्ख फौज ने पठानों के अच्छे छक्के छुड़ाए। पठान मैदान छोड़कर भाग गए। हजारे का इलाका फतह हो गया। विद्रोही सरदार अब ठीक हो गए थे। उन्होंने माफी माँगी और अधीनता स्वीकार कर ली। हजारे का इलाका जीतकर अपने साथ मिला लिया गया और सरदार फतेह सिंह आहलूवालिया और दीवान कृपाराम के सुपुर्द कर दिया गया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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