3. भसीन क्षेत्र का युद्ध
जब अन्य मिस्ल के सरदारों को ज्ञात हुआ कि रणजीत सिंघ जी ने लाहौर पर अधिकार कर लिया
है तो एक गुट बनाकर रणजीत सिंघ जी पर आक्रमण करने की योजना बनाने लगे। इन सरदारों
में रामगढ़िया मिस्ल के जोध सिंह तथा भँगी मिस्ल के गुलाब सिंह मुख्य थे। इनके
अतिरिक्त कसूर क्षेत्र का नवाब नजामुद्दीन भी इनमें सम्मिलित हो गया। ये सभी सेना
लेकर भसीन रणक्षेत्र में पहुँचे। छोटी छोटी कई झड़पें प्रारम्भ हुई। इस बीच रानी
सदाकौर ने अपने जवाई रणजीत सिंघ जी का साहस बढ़ाते हुए कहा कि तुझे चिन्ता करने की
कोई आवश्यकता नहीं, जिस अकालपुरख ने तुझे लाहौर के तख्त पर बिठाया है, वही तुझे
अन्त में विजयी बनाएगा। इस पर रणजीत सिंघ जी ने कहा कि वह तो ठीक है परन्तु इस समय
खजाना बिल्कुल खाली पड़ा हुआ है, युद्ध किस बल पर लड़ा जाएगा। तभी एक 80 वर्ष का
वृद्ध मुगल पुरूष रणजीत सिंघ जी के सामने लाया गया, उसने रणजीत सिंघ जी से कहा, मैं
आपकी शासन व्यवस्था से अति प्रसन्न हुआ, इसलिए आपको एक भेद की बात बताना चाहता हूँ,
परन्तु आप वादा करें कि मुझे भी आप सन्तुष्ट करेंगे। रणजीत सिंघ जी तो बहुत उदार
पुरूष थे, उसने लाभ होने की स्थिति में वृद्ध पुरूष को उसमें से हिस्सा देने का वचन
दिया। इस पर उस वृद्ध ने कहा कि मैं राजमिस्त्री हूँ, बहुत समय पहले नादिरशाह के
आक्रमण के दिनों में धन को छिपाकर रखने के लिए एक विशेष तहखाना बनवाया गया था, जिसमें
हमने विशाल धनराशि भूमि में गाढ़ दी थी, उसका मैं आपको पता बता सकता हूँ। रणजीत सिंघ
जी ने वृद्ध की सहायता से वह धन प्राप्त कर लिया। जिससे धन की कमी की मुश्किल सहज
में ही सुलझ गई। इस प्रकार रणजीत सिंघ जी ने अपनी सेना को धन के प्राप्त होने पर
बहुत मज़बूत किया। इसके विपरीत शत्रु पक्ष के शिविर में एक दुर्घटना हो गई। सँयुक्त
सेना का कमाण्डर गुलाब सिंघ रात्रि को अधिक नशा करने के कारण मृत पाया गया। इस पर
शत्रु पक्ष बिखर गया और उनका सँयुक्त मोर्चा सदा के लिए टूट गया।