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20. मैटकाफ का मिशन

सन् 1808 ईस्वी ईसी समय अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति में कुछ ऐसे परिवर्तन हुए कि अँग्रेजों के लिए यह आवश्यक हो गया कि वह अपने रक्षा प्रबन्ध उत्तर-पश्चिम भारत में और अच्छे बनाएँ। दरअसल सन् 1807 में टिलसिट के स्थान पर नैपोलियन और रूस में जो संधि हुई थी, उससे अँग्रेजों को भय हो गया था कि सँभवतः नैपोलियन भारत में अँग्रेजी साम्राज्य पर जमीन के रास्ते आक्रमण करेगा। कहते है कि उसने अफगानिस्तान और पँजाब की ओर से भारत पर हमले करने की योजना भी बनाई थी। इस तरह अँग्रेजों की सतलुज के पूर्व के क्षेत्रों में रूचि बढ गई और उन्होंने निर्णय किया कि सुरक्षा के लिए इस प्रदेश को अपने अधीन रखना उचित होगा। इस नीति के अनुसार अँग्रेजों ने सतलुज और यमुना नदियों के बीच के क्षेत्रों को हथियाने का पक्का निर्णय कर लिया परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति को देखते हुए वे फ्राँसिसी प्रकोप को भी नही उकसाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सैनिक कारवाई नहीं की बल्कि इस काम के लिए अपने प्रसिद्ध अधिकारी सी.टी. मैटकाफ के अधीन एक राजनीतिक मिशन रणजीत सिंघ को अपने साथ मिलाने के लिए भेजा। इस मिशन का उद्देश्य केवल रणजीत सिंघ को अपना मित्र बनाने की कोशिश करना था और उसे सतलुज नदी के पूर्व की तरफ के क्षेत्रों पर अधिकार न करने दिया जाए। मैटकाफ की सबसे पहले रणजीत सिंघ से मीटिंग कसूर के निकट खेमकरण के स्थान पर 12 अगस्त, 1808 को हुई। रणजीत सिंघ ने अँग्रेज राजदूत से अपना उद्देश्य स्पष्ट बता देने के लिए कहा जो कि इस प्रकार था: 1. फ्राँस के विरूद्ध इकट्ठा सुरक्षा प्रबन्ध। 2. एक दूसरे के क्षेत्र में फ्राँस के विरूद्ध। 3. अँग्रेजों के दूतों को सुरक्षा का आश्वासन। इसके बदले में रणजीत सिंघ ने अपनी माँग इस प्रकार रखी: 1. अँग्रेज उसको एक सिक्ख मिस्लों का महाराजा मानें । 2. काबुल के अमीर के साथ रणजीत सिंघ के झगड़े की सूरत में अँग्रेज निष्पक्ष रहें और काबुल के अमीरों के साथ किसी भी प्रकार का मित्रता का सम्बन्ध न रखें।
मैटकाफ ने इन बातों का जवाब देने के लिए अपनी असमर्थता प्रकट की। रणजीत सिंघ जी ने समझ लिया कि अँग्रेज उसकी मित्रता प्राप्त करने की कीमत उसे नहीं देना चाहते। रणजीत सिंघ ने मैटकाफ को उसके साथ आगे चलने के लिए कहा। इस बीच रणजीत सिंघ ने मालेरकोटला, फरीदकोट, थानेश्वर आदि स्थानों से नजराना प्राप्त करके उनको अपने अधीन कर लिया। रणजीत सिंघ की इस कारवाई से सतलुज और जमुना के बीच के क्षेत्र में एक तरह का आतँक का भूकम्प आ गया। मैटकाफ ने थोडे समय में ही यह महसूस कर लिया कि रणजीत सिंघ इन स्थानों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए उसको अपने साथ ले जाकर गवाह बनाना चाहता है और उसकी उपस्थिति का अनुचित लाभ उठाना चाहता है। मैटकाफ उसके इस तरह से खिलवाड़ करने से क्रूर हो गया और उसने रणजीत सिंघ से कहा कि वह उसके साथ-साथ चलने के लिए तैयार नहीं हैं। अतः रणजीत सिंघ उसके साथ बातचीत करने के लिए समय और स्थान निश्चित कर दे। उस समय रणजीत सिंघ अम्बाला की तरफ बढ़ रहा था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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