20. सिंघनियों ने शाही सेना के छक्के
छुड़ाए
जिला श्री अमृतसर साहिब जी, ग्राम चविंडा में सरदार बहादुर सिंह जी के सुपुत्र का
शुभ विवाह सन् 1727 ईस्वी में रचा गया। अतिथियों का स्वागत हो रहा था कि सभी किसी
चुगलखोर ने इनाम के लालच में गश्ती सैनिक टुकड़ी को सूचना दी कि चविंडा ग्राम में एक
विवाह पर दूर-दूर से सिक्ख लोग आकर इक्ट्ठे हुए हैं, यही अवसर है, उनको दबोच लिया
जाए। परन्तु गश्ती सैनिक टुकड़ी के घोड़ों के पांवों की धूल व गर्द को देखकर सतर्क सभी
सिक्ख सावधान हुए। उन्होंने समय रहते ही शस्त्र सम्भाले और युद्ध के लिए तैयार होकर
खड़े हो गए परन्तु विचार हुआ कि विवाह का समय है, रक्तपात अच्छा नहीं, क्या अच्छा
हो, जो सभी योद्धादारी सिंघ कुछ समय के लिए जँगल में चले जाएँ। तद्पश्चात ग्राम के
मुखिया अथवा चौधरी फौजी टुकड़ी को समझा बुझाकर किसी न किसी तरह वापस लौटा देंगे। ऐसा
ही किया गया। जब गश्ती फौजी टुकड़ी वहाँ पहुँची तो उनको वहाँ कोई भी केशधारी सिक्ख
दिखाई न दिया। परन्तु उन्हें पूर्ण विश्वास था कि उनको जो सूचना उनके गुप्तचर ने दी
है, वह गल्त नहीं हो सकती। अतः वे लोग हवेली की तलाशी के लिए बल देने लगे। इस पर
स्थानीय चौधरी ने कहा कि आप का एक व्यक्ति अन्दर जाकर देख सकता है, अन्दर कोई पुरूष
नहीं, केवल महिलाएँ ही हैं। यह सुनते ही सभी मुगल फौजियों ने कहा कि इससे अच्छा और
कौन सा समय हमें मिलेगा, चलो औरतों को ही दबोच लें और वे हवेली के अन्दर घुसने का
प्रयास करने लगे। मुगल फौजियों की बदनियती देखकर वहाँ सतर्क खड़ी बुजुर्ग महिलाओं ने
तुरन्त हवेली के अन्दर की युवा स्त्रियों को अपने सतीत्व की रक्षा के लिए मर मिटने
के लिए प्रेरित किया। बस फिर क्या था, वे वीरांगनाएँ घरेलु औजार लेकर मोर्चा बना
बैठीं। विवाह होने के कारण लगभग 60 स्त्रियों की सँख्या थी। उन्होंने अपने हाथों
में कुल्हाड़ी, दाती, तंशा, सोटे, कृपाण इत्यादि लेकर फौजियों पर एक साथ मिलकर वार
किए। फौजियों को इस बात की कोई आशा न थी। मिनटों में ही कई फौजी धरातल पर गिरते हुए
पानी माँगने लगे। यह देखकर महिलाओं में मनोबल जागृत हो गया। उन्होंने अपनी जान की
बाजी लगाकर शत्रु पर हमला कर दिया। इस प्रकार कई फौजी वहीं मारे गए और बाकी घायल
अवस्था में जान बचाकर वहाँ से भाग खड़े हुए।