114. श्री अटल राय जी
(आत्मिक शक्ति का प्रयोग कुदरत के नियमों के विरूद्ध करने पर हम
परमात्मा के प्रतिद्वन्द्वी बन जाते हैं)
गुरू हरगोबिन्द साहिब जी के पाँच पुत्र थे। उनके चौथे पुत्र बाबा
अटल राय जी बहुत तेजस्वी थे। अटल राय जी जो भी बोलते थे, वो सच होता था। एक दिन
बालकों के साथ खेलते हुए मोहन नाम के बालक की बारी आयी, मोहन ने कहा कि वो अपनी बारी
कल देगा। रात में मोहन को साँप ने काट लिया, ओर उसकी मृत्यु हो गयी। ये बात बाबा
अटल जी को पता लगी, तब बाबा अटल राय जी आये ओर बोले कि मोहन अपनी खेल की बारी तो दे
जा। ये बोलते ही अचानक मोहन मौत की नींद से जाग गया। से बात गुरू जी को पता लगी, तो
वो अटल से बोले आपने रब का हुकुम तोड़ा है, ये सुनने के बाद अटल किसी स्थान पर चले
गये और चादर ओड़कर लेट गये और अपने प्राण त्याग दिये। उम्र नौ साल की थी, इसलिए संगतों
ने इनका नौ मंजिला गुरूद्वारा बनवाया, जो अमृतसर मे सभी मँजिलों से ऊँचा है।