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76. पण्डित शिवदत जी

(आप परमात्मा का दर्शन करने के लिए जिस रूप की आशा करते हैं वह अपने भक्तों को उसी रूप में दर्शन देकर कृतार्थ करते हैं।)

गोबिन्द राय (श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी) अपनी आयु के बच्चों के साथ प्रायः गँगा किनारे ही खेलते थे। मुख्य घाट पर अभ्यागतों अथवा साधू संतो का भी आवागमन बना रहता था। उस घाट के निकट, एक एकान्त स्थान पर एक वृक्ष के नीचे एक राम-भक्त पण्डित जी भी नित्य प्रति आसन जमाते थे। वे पण्डित जी ज्योतिष विद्या में पारँगत थे अतः इनके पास भी जिज्ञासू आते रहते थे और उनकी जीविका श्रद्धालूओं की दक्षिणा से चलती थी। सँध्या समय जब पण्डित जी अवकाश पाते तो पूजा-अर्चना में व्यस्त हो जाते। पण्डित जी अपने समक्ष राम जी की एक मूर्ति रखते और उसको लडडूओं का प्रसाद भेंट चढ़ाते और मन में प्रायः विचार करते, कि उसे भगवान की पूजा करते हुए अनेक वर्ष गुजर चुके हैं। परन्तु भगवान ने प्रत्यक्ष दर्शन देने का कष्ट तक नहीं किया। इस पर वे पवित्र दिल से बाल रूप मोहिनी मुर्ति रामचन्द्र तथा लक्ष्मण इत्यादि भाईयों को याद करके नेत्र द्रवित कर लेते और इस प्रकार वह ध्यानमग्न हो जाते। एक दिन उनकी अराधना रँग लाई। बाल गोबिन्द तथा अन्य बालक खेलते-खेलते वही आ गये और उन्होंने चुपके से पण्डित जी के आगे से लडडूओं का पिटारा उठाया और सभी ने आपस में बाँट लिया। जैसे ही बच्चों की चहचहाट पण्डित जी ने सुनी वह सावधान हुए किन्तु बच्चे वहाँ खाली पिटारी छोड़कर हुड़दँग मचाते हुए चल दिये। पण्डित जी उनके पीछे भागे किन्तु वह छूमन्तर हो गये। पण्डित जी उनको विस्मय स्थिति में देखते रह गये। अगले दिन पण्डित जी पुनः नित्यकर्म अनुसार फिर भगवान के दर्शनों की अभिलाषा लिए प्रार्थना में लीन हो गये तभी गोबिन्द राय फिर अपनी टोली के साथ आ गये और फिर मिठाई की पिटारी उठा ली, तभी पण्डित जी की समाधि भँग हुई वह लगे छटपटाने उन्होंने बच्चों को डाँट लगाई किन्तु गोबिन्द राय बोले– स्वयँ ही याद करते हो बुलाते हो। जब हम आते हैं तो तिरस्कारपूर्ण व्यवहार करते हो। पण्डित जी ने बाल गोबिन्द को ध्यानपूर्वक देखा तो उनको अचम्भा हुआ उनके सामने गोबिन्द राय जी राम रूप में परिवर्तित हो गये। उन्हें गोबिन्द में राम के दर्शन होने लगे। वे परम आनन्द के रस में सराबोर हो गए। आँख झपकी तो फिर वही बालक गोबिन्द की मुस्कराती छवि सामने थी। पण्डित श्रद्धा से भरकर द्रवित नेत्रों से गदगद होकर नतमस्तक होकर बार-बार प्रणाम करने लगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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