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4. भाई मोहकम सिंघ जी

  • असली नाम: भाई मोहकम राय
    अमृतपान करने के बाद नाम: भाई मोहकम सिंघ जी
    जन्म: सन 1663, द्वारका, गुजरात
    पिता का नाम: तीर्थचंद जी
    माता का नाम: माता देवीबाई जी
    अमृतपान करते समय उम्र: 36 वर्ष
    अकाल चलाना: आपने 7 दिसम्बर सन 1705 को भाई हिम्मत सिंघ और भाई साहिब सिंघ जी के साथ चमकौर के युद्ध में हाथों हाथा हुई लड़ाई में कई हजारों मुगलों को मौत के घाट उतारने के बाद शहीदी प्राप्त की।

भाई मोहकल सिंघ जी भाई तीर्थ सिंघ जी के सुपुत्र थे। आपने छीबा दर्जी परिवार में सन 1663 में जन्म लिया था। आप द्वारका गाँव के वासी थे। आपका परिवार बहुत समय से गुरू घर का श्रद्धालु था। आप अपने पिता जी के साथ छोटी उम्र में ही श्री आनंदगढ़ साहिब आ गए थे। आपका गुरू साहिब जी के साथ बहुत ही प्यार था। आप हमेशा गुरू साहिब जी के साथ ही रहते थे। जब गुरू गोबिन्द सिंघ साहिब जी श्री पाउंटा साहिब जी आए तो भाई मोहकम सिंघ जी भी उनके साथ ही आ गए। भाई मोहकम सिंघ जी ने अपनी उम्र का बहुत सारा समय गुरू साहिब जी के साथ ही बिताया था। वह गुरू साहिब जी की फौज के मुख्य सिपाही थे। जब गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने खालसा पंथ की स्थापना की और खालसा प्रकट किया तो भाई मोहकम सिंघ जी अमृतमान करके खालसा सजे और पाँच प्यारों में शामिल हुए। आपने पहाड़ी राजाओं के खिलाफ हुए युद्धों में भी बड़ी ही वीरता के साथ भाग लिया।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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