9. रागु सोरठ
राग सोरठ सबसे मनमोहक व सुखैन राग स्वीकार किया गया है क्योंकि इसके सरल शब्द अपने
आप ही जिज्ञासु के मुख पर चढ़ जाते हैं। इसके गायन का समय रात्रि का दूसरा पहर
निश्चित है। यह श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 595 से 659 तक अंकित है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी के चउपदे राग सोरठ में अंग 595 से लेकर अंग 599
लाइन 13 तक हैं।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 599 लाइन 14 से लेकर अंग 604 लाइन 9 तक दर्ज
हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे अंग 604 लाइन 10 से लेकर अंग 608 लाइन 2 तक दर्ज
हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे, दुपदे अंग 608 लाइन 4 से लेकर अंग 631 लाइन 9
तक दर्ज हैं।
5. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी राग सोरठि में अंग 631 लाइन 11 से लेकर
अंग 634 लाइन 6 तक दर्ज है।
6. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी की असटपदियाँ अंग 634 लाइन 7 से लेकर अंग 637
लाइन 11 तक दर्ज हैं।
7. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ अंग 637 लाइन 11 से लेकर अंग 639 लाइन 11 तक
दर्ज हैं।
8. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ अंग 369 लाइन 12 से लेकर अंग 642 लाइन 9 तक
दर्ज हैं।
9. राग सोरठि की वार महले 4 की अंग 642 लाइन 10 से लेकर अंग 654 लाइन 3 तक दर्ज है।
10. भक्त कबीर जी की बाणी अंग 654 लाइन 4 से लेकर अंग 656 लाइन 18 तक दर्ज है।
11. भक्त नामदेव जी की बाणी अंग 656 लाइन 19 से लेकर अंग 657 लाइन 15 तक दर्ज है।
12. भक्त रविदास जी की बाणी अंग 567 लाइन 16 से लेकर 659 लाइन 10 तक दर्ज है।
13. भक्त भीखन जी की बाणी अंग 659 लाइन 11 से लेकर अंग 569 तक ही दर्ज है।
राग सोरठ में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अंगद देव जी
3. गुरू अमरदास जी
4. गुरू रामदास जी
5. गुरू अरजन देव जी
6. गुरू तेग बहादर साहिब जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त रविदास जी
4. भक्त भीखन जी