7. रागु बिहागड़ा
यह राग श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 537 से 556 तक दर्ज है। इसके गायन का समय
अर्ध रात्रि का है। यह राग जुदाई व वियोग का प्रतीक है। जुदाई व वियोग ही परमात्मा
से मिलाप का रास्ता खोलते हैं।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी के चउपदे राग बिहागड़ा में अंग 537 से लेकर अंग
अंग 537 लाइन 9 तक ही दर्ज हैं।
2. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी राग बिहागड़ा में अंग 537 लाइन 11 से लेकर
अंग 537 लाइन 16 तक ही दर्ज है।
3. श्री गुरू रामदास जी के छंत राग बिहागड़ा में अंग 537 लाइन 16 से लेकर अंग 541
लाइन 17 तक दर्ज हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के छंत राग बिहागड़ा में अंग 541 लाइन 18 से लेकर अंग 548
लाइन 10 तक दर्ज हैं।
5. राग बिहागड़े की वार अंग 548 लाइन 11 से लेकर अंग 556 तक दर्ज है।
रागु बिहागड़ा में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
5. गुरू तेग बहादर साहिब जी