5. रागु गूजरी
भारत का प्रसिद्ध राग गूजरी है तथा उत्तर व मध्य भारत में यह बहुत हरमन प्यारा है।
इस राग के गायन का समय दोपहर का है। यह राग श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 489 से
526 तक है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी के चउपदे राग गूजरी में अंग 489 पर दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 490 से लेकर अंग 492 लाइन 7 तक दर्ज हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे अंग 492 लाइन 9 से लेकर अंग 494 तक दर्ज हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे, पंचपदे, तिपदे, दुपदे और अंग 495 से लेकर अंग
503 लाइन 4 तक दर्ज हैं।
5. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ अंग 503 लाइन 5 से लेकर अंग 506 लाइन 2 तक
दर्ज हैं।
6. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ राग गूजरी में अंग 506 लाइन 3 से लेकर अंग 506
लाइन 16 तक दर्ज हैं।
7. श्री गुरू रामदास जी की असटपदियाँ अंग 506 लाइन 17 से लेकर अंग 507 लाइन 9 तक
दर्ज हैं।
8. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ राग गूजरी में अंग 507 लाइन 10 से लेकर अंग
508 लाइन 13 तक दर्ज हैं।
9. राग गूजरी की वार महला 3, अंग 508 लाइन 15 से लेकर अंग 517 लाइन 13 तक दर्ज है।
10. राग गूजरी की वार महला 5, अंग 517 लाइन 17 से लेकर अंग 524 लाइन 7 तक दर्ज है।
11. भक्त कबीर जी की बाणी राग गूजरी में अंग 524 पर दर्ज है।
12. भक्त नामदेव जी की बाणी अंग 525 की लाइन 10 तक दर्ज है।
13. भक्त रविदास जी की बाणी राग गूजरी में अंग 525 लाइन 12 से अंग 525 लाइन 17 तक
दर्ज है।
14. भक्त त्रिलोचन जी की बाणी अंग 525 लाइन 18 से अंग 526 लाइन 11 तक दर्ज है।
15. भक्त जैदेव जी की बाणी अंग 526 लाइन 12 से अंग 526 तक ही दर्ज है।
राग गूजरी में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त रविदास जी
4. भक्त त्रिलोचन जी
5. भक्त जैदेव जी