3. रागु गउड़ी
गउड़ी राग में बाणी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 151 से 346 तक दर्ज है। सबसे
ज्यादा बाणी इस राग में दर्ज है। यह एक गम्भीर प्रकार का राग है तथा इसमें विरह की
प्रधानता है। "सुखमनी साहिब" एवं "बावन अखरी" बाणियाँ इसी राग में दर्ज हैं।
महत्वपूर्ण नोट
1. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी के चउपदे और दुपदे अंग 151 से लेकर अंग 157 लाइन
14 तक हैं।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 157 लाइन 15 से अंग 163 लाईन 16 तक हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे अंग 163 लाइन 17 से लेकर अंग 175 लाइन 16 तक हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे और दुपदे अंग 175 लाईन 17 से लेकर अंग 218 तक
दर्ज हैं।
5. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी (महला-9) अंग 219 से लेकर अंग 220 लाइन 17
तक दर्ज है।
6. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ अंग 220 लाइन 18 से लेकर अंग 229 लाइन 10 तक
हैं।
7. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ राग गउड़ी गुआरेरी में अंग 229 लाइन 11 से लेकर
अंग 234 लाइन 2 तक दर्ज हैं।
8. श्री गुरू रामदास जी की बाणी "करहले" अंग 234 लाइन 3 से लेकर अंग 235 लाइन 8 तक
दर्ज है।
9. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ राग गउड़ी गुआरेरी में अंग 235 लाइन 9 से
लेकर अंग 242 लाइन 6 तक दर्ज हैं।
10. श्री गुरू नानक देव जी के छंत अंग 242 लाइन 8 से लेकर अंग 243 लाइन 13 तक दर्ज
हैं।
11. श्री गुरू अमरदास जी के छंत अंग 243 लाइन 14 से लेकर अंग 247 लाईन 5 तक दर्ज
हैं।
12. श्री गुरू अरजन देव जी के छंत राग गउड़ी में अंग 247 लाइन 6 से अंग 249 तक दर्ज
हैं।
13. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी "बावन अखरी" राग गउड़ी में अंग 250 से लेकर अंग
262 लाइन 7 तक दर्ज है।
14. बाणी "श्री सुखमनी साहिब जी" जो कि श्री गुरू अरजन देव जी की प्रमुख बाणी है,
अंग 262 लाइन 8 से लेकर अंग 296 लाइन 9 तक दर्ज है।
15. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी "थिती" अंग 296 लाइन 10 से लेकर अंग 300 लाइन 14
तक दर्ज है।
16. गउड़ी की "वार" महला-4 यानि श्री गुरू रामदास जी की, अंग 300 लाइन 15 से लेकर
318 लाइन 1 तक दर्ज है।
17. गउड़ी की "वार" महला-5 यानि श्री गुरू अरजन देव जी की, अंग 318 लाइन 2 से लेकर
अंग 323 लाइन 11 तक दर्ज है।
18. भक्त कबीर जी, भक्त रविदास जी और भक्त नामदेव जी की बाणी अंग 323 लाइन 12 से
लेकर अंग 346 तक दर्ज है।
19. कबीर दास जी की "बावन अखरी" अंग 340 लाइन 3 से लेकर अंग 343 लाइन 3 तक दर्ज है।
20. कबीर जी की बाणी "थिती" अंग 343 लाइन 5 से लेकर अंग 344 लाइन 8 तक दर्ज है।
21. कबीर जी की बाणी "वार" राग गउड़ी में अंग 344 लाइन 10 से लेकर अंग 345 लाइन 2 तक
दर्ज है।
गउड़ी राग अन्य किस्मों में भी गुरू ग्रंथ साहिब में बाणी
दर्ज है:
1. गउड़ी (अंग 151)
2. गउड़ी गुआरेरी (अंग 151)
3. गउड़ी दखणी (अंग 152)
4. गउड़ी चेती (अंग 154)
5. गउड़ी बैरागण (अंग 156)
6. गउड़ी दीपकी (अंग 156)
7. गउड़ी पुरबी दीपकी (अंग 167)
8. गउड़ी पुरबी (अंग 168)
9. गउड़ी माझ (अंग 172)
10. गउड़ी मालवा (अंग 214)
11. गउड़ी माला (अंग 214)
12. गउड़ी सोरठ (अंग 330)
राग गउड़ी में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
5. गुरू तेग बहादर जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त रविदास जी