24. रागु भैरउ
भैरो राग भी भारतीय राग माला का एक अनमोल मोती है। इस राग में बाणी गुरू श्री ग्रंथ
साहिब जी के अंग 1125 से 1167 तक दर्ज है तथा इस राग के गायन का समय प्रातःकाल है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी के चउपदे राग भैरउ में अंग 1125 से लेकर अंग 1127 लाइन 17
तक दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 1127 लाइन 18 से लेकर अंग 1113 लाइन 18 तक
दर्ज हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे अंग 1133 की आखिरी लाइन यानि लाइन 19 से लेकर अंग
1135 तक दर्ज हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे और पड़ताल आदि अंग 1136 से लेकर अंग 1153 लाइन 7
तक दर्ज हैं।
5. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ अंग 1153 लाइन 8 से लेकर अंग 1154 लाइन 1 तक
दर्ज हैं।
6. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ अंग 1154 लाइन 2 से लेकर अंग 1155 लाइन 15 तक
दर्ज हैं।
7. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ अंग 1155 लाइन 16 से लेकर अंग 1157 लाइन 14
तक दर्ज हैं।
8. भक्त कबीर जी, भक्त नामदेव जी और भक्त रविदास जी की बाणी राग भैरउ में अंग 1157
लाइन 15 से लेकर अंग 1167 तक दर्ज है।
भैरो राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त रविदास जी