21. रागु मारू
मारू राग का सम्बन्ध जोश व बैराग दोनों से माना जाता है। यह राग प्राचीन भारतीय राग
परम्परा का प्रमुख राग है और इसे अन्य कई नामों से पुकारा जाता है। इस राग का गायन
समय दिन का तीसरा पहर या ढलती दोपहर है। इस राग की बाणी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी
के अंग 989 से 1106 तक दर्ज है। इसके दो अन्य प्रकार: मारू काफी व मारू दखणी भी श्री
गुरू ग्रंथ साहिब जी में दर्ज हैं।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी के चउपदे राग मारू में अंग 989 से लेकर अंग 993
लाइन 11 तक दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 993 लाइन 12 से लेकर अंग 995 लाइन 2 तक दर्ज
हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे आदि अंग 995 लाइन 3 से लेकर अंग 998 लाइन 15 तक
दर्ज हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे, दुपदे आदि अंग 998 लाइन 16 से लेकर अंग 1008
लाइन 4 तक दर्ज हैं।
5. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी अंग 1008 लाइन 6 से लेकर अंग 1008 लाइन 16
तक ही दर्ज है।
6. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ अंग 1008 लाइन 17 से लेकर अंग 101़6 लाइन 3
तक दर्ज हैं।
7. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ अंग 1016 लाइन 4 से लेकर अंग 1016 तक ही दर्ज
हैं।
8. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ अंग 1017 से लेकर अंग 1020 लाइन 9 तक दर्ज
हैं।
9. श्री गुरू अरजन देव जी की अंजुलीआ अंग 1019 लाइन 7 से लेकर अंग 1020 लाइन 9 तक
दर्ज हैं।
10. श्री गुरू नानक देव जी के सोलहे अंग 1020 लाइन 10 से लेकर अंग 1043 लाइन 16 तक
दर्ज हैं।
11. श्री गुरू अमरदास जी के सोलहे अंग 1043 लाइन 17 से लेकर अंग 1069 लाइन 3 तक
दर्ज हैं।
12. श्री गुरू रामदास जी के सोलहे अंग 1069 लाइन 4 से लेकर अंग 1071 लाइन 9 तक दर्ज
हैं।
13. श्री गुरू अरजन देव जी के सोलहे अंग 1071 लाइन 10 से लेकर अंग 1086 लाइन 17 तक
दर्ज हैं।
14. मारू की वार महला-3 (श्री गुरू अमरदास जी) अंग 1086 लाइन 18 से लेकर अंग 1094
लाइन 6 तक दर्ज है।
15. मारू की वार डखणे महला-5 (श्री गुरू अरजन देव जी) अंग 1094 लाइन 7 से लेकर अंग
1102 लाइन 17 तक दर्ज हैं।
16. भक्त कबीर जी, नामदेव जी, रविदास जी और जैदेव जी की बाणी अंग 1102 लाइन 18 से
लेकर अंग 1106 तक दर्ज है।
मारू राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अंगद देव जी
3. गुरू अमरदास जी
4. गुरू रामदास जी
5. गुरू अरजन देव जी
6. गुरू तेग बहादर साहिब जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त जैदेव जी
4. भक्त रविदास जी