19. रागु नट नाराइन
नट नारइन राग के अधीन श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी में एक अन्य राग स्वरूप भी मिलता है
वह है नट। यह सम्पूर्ण जाति का राग है। इस राग के तहत बाणी श्री गुरू ग्रंथ साहिब
जी के अंग 975 से 983 तक दर्ज हैं। इस राग के गायन का समय रात का दूसरा पहर है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू रामदास जी की बाणी के चउपदे, पड़ताल आदि राग नट नाराइन में अंग 975 से
लेकर अंग 978 लाइन 5 तक दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी के चउपदे, दुपदे और पड़ताल आदि अंग 975 लाइन 6 से
लेकर अंग 980 लाइन 8 तक दर्ज हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी की असटपदियाँ अंग 980 लाइन 9 से लेकर अंग 983 तक दर्ज हैं।
नट नारइन में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू रामदास जी
2. गुरू अरजन देव जी