16. रागु बिलावल
बिलावल राग प्राचीन भारतीय शास्त्री राग है। वैदिक धर्म के हर ग्रंथ में किसी न किसी
रूप में इसका जिक्र मिलता है। यह राग मिलाप के पश्चात् प्राप्त खुशी का प्रकटाव है।
श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी में इस राग की बाणी अंग 795 से 858 तक दर्ज है। इस राग के
गायन का समय दिन का दूसरा पहर निश्चित है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी के चपपदे राग बिलावल में अंग 795 से लेकर अंग 796
लाइन 12 तक दर्ज है।
2. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे, पंचपदे आदि अंग 796 लाइन 13 से लेकर अंग 798 लाइन
17 तक दर्ज हैं।
3. श्री गुरू रामदास जी की बाणी के चउपदे अंग 798 लाइन 18 से लेकर अंग 801 लाइन 5
तक दर्ज हैं।
4. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी के चउपदे, दुपदे अंग 801 लाइन 5 से लेकर अंग 830
लाइन 13 तक दर्ज हैं।
5. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी राग बिलावलु में अंग 830 लाइन 14 से लेकर
अंग 831 लाइन 7 तक दर्ज है।
6. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ अंग 831 लाइन 8 से लेकर अंग 832 लाइन 12 तक
दर्ज हैं।
7. श्री गुरू अमरदास जी की असटपदियाँ अंग 832 लाइन 14 से लेकर अंग 833 लाइन 5 तक
दर्ज हैं।
8. श्री गुरू रामदास जी की असटपदियाँ अंग 833 लाइन 6 से लेकर अंग 837 लाइन 7 तक
दर्ज हैं।
9. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदियाँ अंग 837 लाइन 8 से लेकर अंग 838 लाइन 17 तक
दर्ज हैं।
10. श्री गुरू नानक देव जी की थिती राग बिलावलु में अंग 838 लाइन 18 से लेकर अंग
840 तक दर्ज है।
11. श्री गुरू अमरदास जी की वार सत राग बिलावल में अंग 841 से लेकर अंग 843 लाइन 4
तक दर्ज है।
12. श्री गुरू नानक देव जी के छंत राग बिलावल में अंग 843 लाइन 5 से लेकर अंग 844
लाइन 11 तक दर्ज हैं।
13. श्री गुरू रामदास जी के छंत अंग 844 लाइन 12 से लेकर अंग 845 लाइन 12 तक दर्ज
हैं।
14. श्री गुरू अरजन देव जी के छंत अंग 845 लाइन 13 से लेकर अंग 848 तक दर्ज हैं।
15. बिलावल की वार अंग 849 से लेकर अंग 855 लाइन 5 तक दर्ज है।
16. भक्त कबीर जी, भक्त नामदेव जी, भक्त रविदास जी और भक्त सधना जी की बाणी अंग 855
लाइन 6 से लेकर अंग 858 तक दर्ज है।
बिलावल राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
5. गुरू तेग बहादर साहिब जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त रविदास जी
3. भक्त नामदेव जी
4. भक्त सधना जी