14. रागु तिलंग
श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 721 से 727 तक तिलंग राग में बाणी दर्ज है। यह
बहुत सरल राग है। बाबरवाणी के शब्द इसी राग में दर्ज हैं। इस राग के गायन का समय
दिन का तीसरा पहर है। इसका एक रूप तिलंग काफी भी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी में दर्ज
है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी के चपपदे राग तिलंग में अंग 721 से लेकर अंग 723
लाइन 5 तक दर्ज हैं।
2. श्री गुरू रामदास जी के दुपदे राग तिलंग में अंग 723 पर दर्ज हैं।
3. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे राग तिलंग में अंग 723 लाइन 13 से लेकर अंग 724
लाइन 18 तक दर्ज हैं।
4. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदियाँ (इसमें 10 पदियाँ हैं) और श्री गुरू रामदास
जी की असटपदियाँ 22 पदियाँ हैं, यह अंग 724 लाइन 19 से लेकर अंग 726 लाइन 13 तक
दर्ज हैं।
5. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी राग तिलंग में अंग 726 लाइन 14 से लेकर
अंग 727 लाइन 6 तक दर्ज है।
6. भक्त कबीर जी और भक्त नामदेव जी की बाणी अंग 727 पर दर्ज है।
तिलंग राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू रामदास जी
3. गुरू अरजन देव जी
4. गुरू तेग बहादर साहिब जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी