13. रागु बैराड़ी
बैराड़ी राग की जितनी किस्में मध्यकाल में प्रचलित थी, उतनी शायद किसी राग की नहीं
थी। यह राग बहुत कठिन माना जाता है। श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 719 से 720 तक
इसे स्थान दिया गया है तथा इसके गायन का ठीक समय दिन का चौथा पहर माना गया है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू रामदास जी के दुपदे राग बैराड़ी में अंग 719 से लेकर अंग 720 लाइन 14
तक दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अरजन देव जी के दुपदे राग बैराड़ी में अंग 720 पर ही दर्ज हैं।
बैराड़ी राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू रामदास जी
2. गुरू अरजन देव जी