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12. रागु टोडी

टोडी राग आमतौर पर राजा महाराजाओं की स्तुति के लिए गाया जाता था। श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी में इस राग का गायन अकाल उस्तति के लिए किया जाता है क्योंकि सिक्ख धर्म केवल प्रभु को ही सबका मालिक स्वीकार करता है। इस राग को श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 711 से 718 तक दर्ज किया गया है। इस राग के गायन का समय दिन का दूसरा पहर निश्चित है।

महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू रामदास जी की बाणी के चउपदे अंग 711 पर दर्ज हैं।
2. श्री गुरू अरजन देव जी की बाणी के दुपदे, चउपदे अंग 711 लाइन 13 से लेकर अंग 718 लाइन 4 तक दर्ज हैं।
3. श्री गुरू ते बहादर साहिब जी की बाणी राग टोडी में अंग 718 पर दर्ज है।
4. भक्त नामदेव जी की बाणी भी राग टोडी में अंग 718 पर ही दर्ज है।

टोडी राग में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:

गुरू साहिबान
1. गुरू रामदास जी
2. गुरू अरजन देव जी
3. गुरू तेग बहादर साहिब जी

भक्त साहिबान
भक्त नामदेव जी

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
     
     
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