10. रागु धनासरी
राग धनासरी श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के अंग 660 से 695 तक अंकित है। यह बहुत
प्राचीन राग है। श्री गुरू नानक पातशाह जी ने आरती का गायन इसी राग में किया है। इस
राग के गायन का समय दिन का तीसरा पहर निश्चित किया गया है।
महत्वपूर्ण नोट:
1. श्री गुरू नानक जी के चउपदे राग धनासरी में अंग 660 से लेकर अंग 663 से लेकर
लाइन 12 तक दर्ज है।
2. श्री गुरू नानक देव जी की बाणी आरती राग धनासरी में ही अंग 663 पर दर्ज है।
3. श्री गुरू अमरदास जी के चउपदे अंग 663 लाइन 13 से लेकर अंग 666 लाइन 13 तक दर्ज
हैं।
4. श्री गुरू रामदास जी के चउपदे अंग 666 लाइन 14 से लेकर अंग 668 लाइन 14 तक दर्ज
हैं।
5. श्री गुरू रामदास जी के दुपदे अंग 666 लाइन 15 से लेकर अंग 670 लाइन 10 तक दर्ज
हैं।
6. श्री गुरू अरजन देव जी के चउपदे, तितुके, दुपदे अंग 670 लाइन 11 से लेकर अंग 684
लाइन 12 तक दर्ज है।
7. श्री गुरू तेग बहादर साहिब जी की बाणी राग धनासरी में अंग 684 लाइन 14 से लेकर
अंग 685 लाइन 10 तक दर्ज है।
8. श्री गुरू नानक देव जी की असटपदिया राग धनासरी में अंग 685 लाइन 11 से लेकर अंग
686 लाइन 15 तक दर्ज हैं।
9. श्री गुरू अरजन देव जी की असटपदिया अंग 686 लाइन 16 से लेकर अंग 687 लाइन 12 तक
दर्ज हैं।
10. श्री गुरू नानक देव जी के छंत राग धनासरी में अंग 687 लाइन 13 से लेकर अंग 689
तक दर्ज हैं।
11. श्री गुरू रामदास जी के छंत अंग 690 पर दर्ज हैं।
12. श्री गुरू अरजन देव जी के छंत अंग 691 से लेकर अंग 691 लाइन 15 तक दर्ज हैं।
13. भक्त कबीर जी, भक्त नामदेव जी, भक्त रविदास जी, भक्त त्रिलोचन जी की बाणी अंग
691 लाइन 16 से लेकर अंग 695 तक दर्ज है।
राग धनासरी में बाणी सम्पादन करने वाले बाणीकार:
गुरू साहिबान
1. गुरू नानक देव जी
2. गुरू अमरदास जी
3. गुरू रामदास जी
4. गुरू अरजन देव जी
5. गुरू तेग बहादर साहिब जी
भक्त साहिबान
1. भक्त कबीर जी
2. भक्त नामदेव जी
3. भक्त रविदास जी
4. भक्त त्रिलोचन जी
5. भक्त सैन जी
6. भक्त पीपा जी
7. भक्त धन्ना जी