1821. किस गुरू साहिबान की गिरफ्तारी के समय पाँच सिक्खों
में भाई जैता जी भी शामिल थे ?
1822. दिल्ली में जेल समय में नवें पातशाह द्वारा रचे गये 57
सलोक गुरगददी देने की सामाग्री श्री आनंदपुर साहिब जी पहुँचाकर, महान सेवा की
जिम्मेदारी किसने निभाई ?
1823. नौवें गुरू जी का पावन शीश चांदनी चौक दिल्ली से
आनंदपुर साहिब पहुंचाकर, "रधुरेटे गुरू के बेटे" होने का मान किसने हासिल किया ?
1824. अमृत की दात पाकर भाई जैता जी को क्या नया नाम मिला ?
1825. सरसा नदी के किनारे पर हुऐ भयानक युद्ध में भाई जैता (भाई
जीवन सिंघ) जी दुशमनों की फौज के घेरे से किसे सुरक्षित निकालकर लाए ?
1826. भाई जैता (भाई जीवन सिंघ) जी के कितने साहिबजादे थे,
उनके नाम बताएँ और यह साहिबजादे शहीद कैसे हुए ?
1827. श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी ने चमकौर की गढ़ी छोड़ने से
पहले अपने हमशक्ल को कलगी सजाकर शस्त्र सौंप दिए। वो हमशक्ल कौन था ?
1828. बाबा जीवन सिंघ (भाई जैता) जी ने बहादुरी से कितनी फौज
का सामना किया और आप जी ने गुरू जी का कथन–"सवा लाख से एक लड़ाऊँ, तबैह गोबिन्द सिंघ
नाम कहाऊँ", को असली रूप में साकार किया ?
1829. बाबा जीवन सिंघ (भाई जैता) जी कब और किस स्थान पर शहीद
हुए ?
1830. गुरूद्वारा अदुति भाई कन्हैया जी साहिब किस स्थान पर
सुशोभित है ?
1831. गुरूद्वारा अदुति भाई कन्हैया जी साहिब का क्या इतिहास
है ?
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जब गुरू जी की जँग मुगलों से होती थी, तो भाई साहिब जी हमेशा
पानी की मशक उठाये रखते थे। भाई साहिब मुसलिम सैनिकों को भी पानी पिला देते थे।
एक सिक्ख ने इस बात की शिकायत गुरू गोबिन्द सिंघ जी को कर दी। गुरू साहिब जी ने
बुलाकर पुछा तो भाई साहिब जी बोले कि मैं यह नहीं देखता कि सैनिक मुगल है कि
सिक्ख। मैं तो घायलों को इनसान समझकर जल पिलाता हुं। गुरू साहिब भाई कन्हैया जी
से बहुत खुश हुए, शाबाशी दी और आर्शीवाद दिया।
1832. गुरूद्वारा श्री भट्ठा साहिब जी किस स्थान पर सुशोभित
है ?
1833. गुरूद्वारा श्री भट्ठा साहिब जी किस गुरू साहिबान से
संबंधित है ?
1834. गुरूद्वारा श्री भट्ठा साहिब वाले स्थान पर श्री गुरू
गोबिन्द सिंघ जी कितनी बार पधारे ?
1835. गुरूद्वारा श्री भट्ठा साहिब जी का क्या इतिहास है ?
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इस पावन पवित्र स्थान को दसवें गुरू गोबिन्द सिंघ जी की चरण
धुल प्राप्त है। पहली बार गुरू जी यहाँ पर भँगाणी की जँग से श्री आनंदपुर साहिब
जाते हुये गुरूद्वारा श्री बाउली साहिब जी और जिरकपुर और गुरूद्वारा श्री नाडा
साहिब पँचकुला होते हुए आए थे। गुरू जी ने यहाँ पर ईटों के भट्टे पर काम कर रहे
मजदुर से आराम करने का स्थान पुछा, उसने भट्टे की तरफ इशारा कर दिया। गुरू
साहिब के घोड़े का पैर जैसे ही भट्टे में गया, भट्टा वहीं पर ठण्डा हो गया। चौधरी
निहंग खान को जैसे ही इस घटना की जानकरी मिली, वो भागा-भागा आया। उसने गुरू
साहिब को भट्टे पर बैठा देखा तो उनके चरणों में गिर गया और विनती करके अपने किले
में ले आया। दुसरी बार गुरू जी आलम खान की विनती पर आए, जो कि चौधरी निहंग खान
का सपुत्र था। तीसरी बार गुरू साहिब जी जब कुरूक्षेत्र से वापिस आ रहे थे, तब
आए थे। तीसरी बार गुरू साहिब जी जब श्री आनंदपुर साहिब जी का किला छोड़कर आए थे,
तब इस स्थान पर आए थे।
1836. गुरूद्वारा श्री भविखतसर साहिब जी किस स्थान पर
सुशोभित है ?
1837. गुरूद्वारा श्री भविखतसर साहिब जी का क्या इतिहास है ?
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इस स्थान पर छठवें गुरू, श्री गुरू हरगोबिन्द साहिब जी
महाराज ने 9 महीने कुछ दिन तक पढ़ाव किया। यहीं पर बिलासपुर के राजा ने गुरू
साहिब जी से विनती की, कि मेरे घर पुत्र की दात बख्शीश करो। गुरू जी ने राजा को
सरोवर बनाने का हुक्म दिया, जो कि आधा किलोमीटर की दूरी पर है। यहीं पर गुरू जी
ने आने वाले समय की भविष्यवाणी की, इसलिए इस स्थान का नाम भविखतसर है।
1838. गुरूद्वारा श्री भयानक रात की चीस साहिब जी किस स्थान
पर सुशोभित है ?
1839. गुरूद्वारा श्री भयानक रात की चीस साहिब जी का इतिहास
से क्या संबंध है ?
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20-21 दिसम्बर 1704 ई0 को परिवार विछोड़े से माता गुजर कौर
जी बाबा जोरावर सिंघ जी, बाबा फतेह सिंघ जी ने, श्री गुरू गोबिन्द सिंघ जी के
लँगर के सेवादार गँगू ब्राहम्ण के घर इस स्थान पर रात काटी थी। माता जी की मोहरों
की पोटली गँगू खुद चोरी करके हल्ला मचाने लगा कि माता जी की मोहरें चोरी हो गयी
हैं। माता जी ने कहा कि तूँ हल्ला क्यों मचा रहा है, मोहरें तूँ ही रख ले, तुझसे
कौन माँग रहा है, ये सुनकर गँगू क्रोधित हो गया और कहने लगा कि मैंने आपको पनाह
दी है, उल्टा मेरे पर चोरी का इल्जाम लगा रहे हो। गँगू सीधा मोरिन्डे कोतवाल के
पास गया ओर कहा कि मैं आपके लिए खुफिया जानकारी लाया हुँ, श्री गुरू गोबिन्द
सिंघ जी की माता और दो छोटे लड़के मेरे घर छिपे हुए हैं। गँगू ने इन्हें मरिन्डा
पुलिस के हवाले कर दिया।
1840. गुरूद्वारा श्री गुरू दे महल साहिब जी रोपड़ में कहां
है ?